डीबीटी से किसानों को मिलेगा सीधा लाभ
जिस तरह प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM Kisan) और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का पैसा सीधे किसानों के खाते में ट्रांसफर किया जाता है, अब खाद सब्सिडी के लिए भी यही तरीका अपनाया जाएगा। कृषि मंत्रालय, खाद मंत्रालय के साथ मिलकर इस योजना के लिए एक मॉड्यूल तैयार कर रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कुछ जिलों में इसे लागू करने की योजना है।
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क्या है खाद सब्सिडी योजना?
सरकार डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से किसानों के खाते में खाद सब्सिडी का पैसा भेजने की तैयारी कर रही है। इससे सब्सिडी का सही उपयोग होगा और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। खाद उद्योग इस कदम का स्वागत कर रहा है और इसे खाद एवं उर्वरक क्षेत्र में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम मान रहा है।
पायलट प्रोजेक्ट की तैयारियां
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खाद सब्सिडी के डीबीटी मॉडल पर काम जारी है। हालांकि, इसकी मौजूदा स्थिति और पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की तारीख अभी स्पष्ट नहीं है। सरकार ने अब तक इस योजना पर कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की है।
कृषि मंत्रालय ने डीबीटी आधारित अन्य योजनाओं जैसे पीएम किसान, पीएम फसल बीमा योजना, सॉइल हेल्थ कार्ड और यूनीक आईडी स्कीम के डेटा खाद मंत्रालय के साथ साझा किए हैं। इन योजनाओं में किसानों की भूमि, फसल, और मिट्टी की जानकारी होती है, जो खाद सब्सिडी के वितरण में सहायक होगी।
सब्सिडी का मौजूदा ढांचा
इस वित्तीय वर्ष के अप्रैल से नवंबर तक खाद सब्सिडी की राशि ₹1,23,833.64 करोड़ तक पहुंच चुकी है। इसमें से ₹86,560 करोड़ यूरिया और ₹37,273.35 करोड़ फॉस्फेटिक व पोटाशिक खाद के लिए है। फिलहाल डीबीटी के माध्यम से सब्सिडी सीधे किसानों को नहीं बल्कि खाद कंपनियों को दी जाती है।
पायलट प्रोजेक्ट से संभावित बदलाव
- किसानों के खाते में सीधा लाभ: डीबीटी से किसानों को सीधे खाद सब्सिडी मिलेगी।
- भूमि और फसल आधारित सब्सिडी: किसानों को उनके खेत के आकार, फसल और मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर सब्सिडी दी जाएगी।
- बटाईदार किसानों का समावेश: सब्सिडी योजना में बटाईदार किसानों को भी शामिल किया जाएगा।
सरकार को संभावित लाभ
इस योजना से न केवल सब्सिडी के दुरुपयोग पर रोक लगेगी, बल्कि लागत में भी कमी आएगी। किसानों को उनकी आवश्यकता के अनुसार सहायता मिल सकेगी, जिससे कृषि क्षेत्र को लाभ पहुंचेगा।
निष्कर्ष
फिलहाल यह योजना प्रारंभिक चरण में है। अगर पायलट प्रोजेक्ट सफल होता है, तो यह देशभर के किसानों के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।
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