सोयाबीन, उड़द या तुवर के साथ कर सकतें है जंगली मटर की खेती
बरसात के मोसम में मटर की खेती तो ज्यादातर किसान करते हैं. लेकिन क्या आपने कभी जंगली मटर के बारे में सुना है? ये कोई ऐसी-वैसी दाल नहीं, बल्कि इस मटर की डिमांड अफ्रीका, दुबई, लंदन जैसे देशों तक है। इस जंगली अरहर में फाइबर और प्रोटीन भरपूर होता है, जिसे खाने से पेट में गैस नहीं बनती औरर यह आराम से पच जाती है। जंगली अरहर की खेती कर किसान लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं।
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वर्तमान में बाजार में इसकी कीमत १२ हजार रुपये प्रति क्विंटल है. इस तरह से सोयाबीन, उड़द या तुवर की खेती करने वाले किसान जब साथ ही साथ जंगली अरहर की खेती करते हैं, तो सवा लाख तक की कमाई एक्स्ट्रा हो सकती है। इस फसल के साथ किसान अपने खर्चे कम करके अपनी आय को २ से ३ गुना तक बढ़ा सकते हैं।
४ फीट का पौधा और ४ महिने में फसल
इस बरसात में सोयाबीन, तुवर, उड़द के साथ अगर आप जंगली मटर लगा दें तो चार महिनें में तगड़ा मुनाफ़ा होगा। मानसून ने पुरे देश में दस्तक दे दी है। आने वाले एक-दो दिन में पूरे प्रदेश में अच्छी बारिश शुरू हो जाएगी। साथ ही किसान खेतों में बुवाई शुरू कर देंगे। लेकिन, इस सीजन अगर किसान भाई उतनी ही लागत और उतनी ही मेहनत में ज्यादा कमाई करना चाहते हैं तो जंगली अरहर का प्रयोग उन्हें मालामाल बना सकता है।
क्या है जंगली मटर?
यह एक अंतरवर्तीय या मिक्स प्रणाली की खेती है। इसे सोयाबीन, उड़द, तुवर के साथ सह फसल के रूप में बोया जा सकता है। किसी भी अन्य फसल के साथ इसका केवल प्रति एकड़ १ किलो बीज लगता है। ५ x ६ के अंतर से पूरे खेत में बुवाई करनी होती है। यह साल में दो बार फलती है। दो कटिंग पर यह आराम से १० क्विंटल तक उपज दे देती है। पहले इसकी फसल के रूप में उत्पादन ले सकते हैं। बाद में इसे मोटी-मोटी लकड़ी भी निकल आती हैं, जिसे ईंधन के रूप में घर में उपयोग कर सकते हैं, या बेच सकते हैं। जंगली मटर की दाल में प्रोटीन और फाइबर अधिक होता है। जिसकी वजह से इसकी विदेश में भी काफी डिमांड है।
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ज्यादा पानी की भी जरूरत नहीं
मटर की इस किस्म को बहुत कम पानी की जरूरत होती है। जब इसे जून या जुलाई में लगाते हैं तो बारिश के समय सिंचाई की सितंबर तक कोई जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन अक्टूबर, नवंबर में २० दिन के अंतराल में २ या ३ पानी (सिंचाई) की जरूरत होती है। सिंचाई खुली पद्धति से बहा कर भी कर सकते हैं। तथा इस किस्म के लिए टपक सिंचाई व्यवस्था सर्वोत्तम होती है।
दो तरीकों से खेत में लगाएं
मटर की इस किस्म को दो तरीके से लगाया जा सकता है। पहला नर्सरी तैयार करके इसके लिए ५० किलोग्राम मिट्टी ५० किलोग्राम गोबर की पची खाद या केंचुआ खाद। इनमें १ किलोग्राम चूना पाउडर और १ किलोग्राम नीम का पाउडर सभी को आपस में मिलाकर, २.५ x ६ इंच के पॉली बैग में भरके १ से १.५ इंच की गहराई में बीज डालें। इस विधि में १ एकड़ में ७५० ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। दूसरा तरीका सीधा बीज खेत में लगाना होता है। जब बीज सीधा खेत में लगाते हैं तो २ दाने एक साथ लगाने चाहिए, इसकी गहराई १ से १.५ इंच रखनी है. इस स्थिति में प्रति एकड़ में १ किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
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