खरीफ मार्केटिंग सीज़न (KMS) अक्टूबर महीने से शुरू होता है और धान की फसल खरीफ सीजन (गर्मियों में बोई जाती है ) साथ ही इस फसल को रबी के मौसम में भी उगाया जाता है। चालू खरीफ विपणन सीजन में खरीफ धान की खरीद लगभग १५ प्रतिशत बढ़कर ६६९.५९ लाख टन हो गई है। इसमें से १.२६ लाख करोड़ रुपये नए खेत कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के विरोध में खर्च किये जा चुके है ।
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एक ऑफिशल बयान के कथानुसार, “चालू खरीफ विपणन सीजन (KMS) 2020-21 में, सरकार MSP योजनाओं के अनुसार किसानों से खरीफ 2020-21 फसलों की खरीद एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर करना जारी रखती है ।”
पिछले साल मार्च तक सरकार के पास ५८३.३४ लाख टन से १४.७८ प्रतिशत धान था। इस साल यह बढ़कर ६६९ .५९ लाख टन धान हो गया है।
सरकार के कथित बयान के अनुसार, “लगभग ९७.७० लाख किसान पहले ही एमएसपी मूल्य १,२६,४१८ .७० करोड़ रुपये के साथ चल रहे केएमएस खरीद कार्यों से लाभान्वित हो चुके हैं।”
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार , धन की ६६९.५९ लाख टन की कुल खरीद में से, पंजाब ने २०२.८२ लाख टन का योगदान दिया है।
३ मार्च तक की रिपोर्ट के अनुसार, १८,९७,००२ किसान ,२६,७१६.३१ करोड़ रुपये के मूल्य पर ९१,८०,४१२ कपास गांठें से लाभान्वित किया गया है।
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर कृषि कानूनों का विरोध प्रदर्शन किसानों द्वारा किया जा रहा है किसान यूनियन भी MSP की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।
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