बीज उत्पादन से होगा किसानों को लाभ, यदि करें सही तकनीक का इस्तेमाल

बीज उत्पादन से होगा किसानों को लाभ, यदि करें सही तकनीक का इस्तेमाल

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कृषि की आत्मनिर्भरता बीज पर निर्भर होती है। बीज जितना स्वस्थ और अच्छा होगा फसल भी उतनी ही बेहतर होती है। सरकार निरंतर कृषि के मामले में आर्थिक लाभ से लेकर विभिन्न योजनाओं के जरिये किसानों की आमदनी बढ़ाने का प्रयास कर रही है। सरकार ने इस मकसद से आत्मनिर्भर कृषि नाम से अभियान को चालू किया है। मोदी सरकार का लक्ष्य किसानों की समस्याओं को दूर करके उनकी आमदनी को दोगुना करना है।

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अक्सर किसान बीज का उत्पादन करते समय अन्य साधनों पर ध्यान नहीं देते हैं जैसे सही समय पर सिंचाई, खाद की देखभाल जिससे उनकी मेहनत भी बेकार हो जाती है। खेती से जुड़ी तमाम साधन जैसे बिजली, पानी, बीज, कीटनाशी, मशीनरी, उर्वरक, आदि जैसे तकनीकी जानकारी उतनी ही मह्त्वपूर्ण है जितना कि बीज का सही तरह से उत्पादन।

किसान को यह भी पता होता हैं की सामान्य बीज के मुकाबले अच्छी क्वालिटी का बीज २५ प्रतिशत तक ज़्यादा उत्पादन करता है। प्रमाणित बीज का आधार स्वस्थ, शुद्ध और अच्छी क्वालिटी होती है। प्रमाणित बीजों के माध्यम से अच्छी पैदावार के साथ पैसों की भी बचत होती है।

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बीज का सही चयन न करने से पैदावार भी अच्छी नहीं मितली है और उसकी कीमत भी नहीं वसूलती है। इससे किसानों को भविष्य में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

विभिन्न सीजन के अनुसार फसलों के हिसाब से एक नया बीज खरीदना पड़ता है। फसल की लागत बीज पर निर्भर करती है।

यदि बीज ख़राब क्वालिटी की आ जाएं तो फसल पर भी इसका प्रभाव पड़ता है तथा किसानों की सारी मेहनत बर्बाद हो जाती है।

बाजार में मिलने वाले चमकदार पैकेट के पीछे कैसे बीज है यह हमें नहीं पता होता है, यदि किसान खुद बीज तैयार कर लेते हैं तो उनको इस सब समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।

कुछ वैज्ञानिकों ने यह भी बताया हैं की यदि फसल को बीज के रूप में तैयार करें न की अनाज के रूप में तो निश्चित है उसकी आर्थिक स्तिथि भी बेहतर ही होगी।

केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार भी किसानों के हित के लिए बीज उगाने की तकनीक से लेकर अलग अलग माध्यमों से सरकार द्वारा सलाह प्रदान की जा रही है ।

बीज उत्पादन से किसानों को सरसों, गेहूं या धान को सही कीमत पर बेचने के लिए इधर उधर नहीं जाना होगा। सरकार भी उनकी मद्दत करेगी। विभिन्न राज्यों पर स्तिथ कृषि विश्वविद्यालय एवं सरकार अक्सर बीज उत्पादन के कार्यक्रम को चलाते हैं और किसानों को सही जानकारी वितरत करते हैं ।

बीज उत्पादन को शुरू करने से आपकी छवि एक बीज कारोबारी के रूप में बन जाती है। अपने खेत में भी किसान आसानी से बीज उत्पादन का बिज़नेस शुरू कर सकते हैं ।
”बने बीज निगम के बीज उत्पादक” नाम से बिहार सरकार ने एक अभियान शुरू किया है। किसान आसानी से इस अभियान से जुड़ सकते है।

बीज उत्पादन कार्यक्रम को किसान कैसे शुरू कर सकते हैं

  • एक एकड़ जमीन बटाई या पट्टे पर किसान के पास होनी चाहिए ।
  • बीज उत्पादन के आधार पर बीज मुहैया कराया जाएगा।
  • बिहार राज्य के किसान आर्गेनिक सर्टिफिकेशन एजेंसी एवं स्टेट सीड से परमाडन के लिए ५० रूपए देना शेष है।
  • निगम द्वारा किसानों को प्रोत्साहन राशि के रूप में प्रमाणन शुल्क में २५० रूपए की राशि खर्च की जाएगी।
  • बिहार राज्य बीज निगम लिमिटेड के जरिये बीज उत्पादक के खर्च का वहन करेंगे।
  • किसानों द्वारा तैयार क्वालिटी वाले बीज उत्पादक की मात्रा शत प्रतिशत निगम द्वारा वितरत की जाएगी।
  • फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर २० फीसदी की राशि को जोड़कर बीज का क्रय मूल्य तैयार किया जाएगा।
  • बीज की सफल जांच के बाद निगम द्वारा फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य के बराबर की पहली किश्त किसानों के खातों में ट्रांसफर की जाएगी।
  • प्रोत्साहन राशि किसानों को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना तथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत वितरण की जाएगी।

राज्य की सरकारें, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक एवं कृषि विश्वविद्यालय, बीज उत्पादन में किसानों की मदद करते हैं। किसानों को बीज उत्पादन की अधिक जानकारी जिले के कृषि अधिकार या कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से मिलकर जानकारी हासिल कर सकते है।

रबी फसलों की बुवाई का सीजन है, किसान सही तकनीक अपनाकर सरसों, गेहूं, जैसे आदि बीज तैयार करके आम फसलों के मुकाबले कई गुना ज़्यादा फायदा का लाभ अर्जित कर सकेंगे ।

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