कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कृषि मंत्री एन. चेलुवरायास्वामी ने सोमवार को कई अहम घोषणाएँ कीं। इन पहलों का उद्देश्य किसानों को सहयोग देना और खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देना है। यह घोषणा कृषि मेला के उद्घाटन के अवसर पर धारवाड़ स्थित कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय (यूएएस) परिसर में की गई।
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शोध और तकनीकी हस्तांतरण पर जोर
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कृषि विभाग और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों से अनुसंधान, नवाचार और तकनीकी हस्तांतरण पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने “लैब से भूमि और भूमि से लैब” की अवधारणा को अपनाने पर जोर दिया। वर्षा आधारित खेती राज्य की 60% से अधिक कृषि का हिस्सा है। ऐसे में उन्होंने विश्वविद्यालयों से किसानों को उपयुक्त फसलों और उन्नत तरीकों के बारे में शिक्षित करने की अपील की।
“इस वर्ष समय पर बारिश और अनुकूल मानसून ने किसानों को बड़े पैमाने पर बुवाई करने के लिए प्रोत्साहित किया है, जिससे खेती योग्य क्षेत्र बढ़कर 80 लाख हेक्टेयर हो गया है। हालांकि, कई जिलों में, खासकर धारवाड़ में, अत्यधिक वर्षा से फसलों को भारी नुकसान हुआ है,” उन्होंने कहा।
फसल नुकसान और मुआवजा उपाय
प्रारंभिक आकलन के अनुसार, 5 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में खड़ी फसलें बाढ़ और अधिक बारिश से नष्ट हो गई हैं। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि जिला उपायुक्तों को संयुक्त सर्वेक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं और रिपोर्ट आने के बाद तुरंत मुआवजा वितरित किया जाएगा।
“मुआवजा देने के लिए धन की कोई कमी नहीं है। सरकार कठिन समय में किसानों के साथ खड़ी है,” सिद्धारमैया ने कहा। उन्होंने घटती मिट्टी की उर्वरता पर चिंता व्यक्त करते हुए वैज्ञानिकों से दीर्घकालिक उत्पादकता बनाए रखने के लिए नवीन उपाय विकसित करने का आग्रह किया।
कृषि मंत्री की बड़ी घोषणाएँ
कृषि मंत्री एन. चेलुवरायास्वामी ने राज्य में 6,000 एग्री-स्टार्टअप शुरू करने और 12,000 फार्म पोंड बनाने की घोषणा की। प्रत्येक स्टार्टअप को 15 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इसका उद्देश्य युवाओं को कृषि क्षेत्र में आकर्षित करना और कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देना है।
“ये पहल न केवल खाद्य सुरक्षा को मजबूत करेंगी, बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा करेंगी और खेती में नवाचार लाएँगी,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी बताया कि लंबे समय से प्रतीक्षित कृषि विज्ञान केंद्र विजयपुरा में और कृषि विज्ञान महाविद्यालय बेलगावी में जल्द ही स्थापित किए जाएंगे। इससे उत्तर कर्नाटक में किसानों की शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।
मिट्टी की उर्वरता और खाद्य सुरक्षा पर ध्यान
मुख्यमंत्री ने कहा कि घटती मिट्टी की उर्वरता के कारण खाद्य उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों से टिकाऊ खेती, मिट्टी सुधार तकनीकों और पर्यावरण अनुकूल फसल प्रबंधन पद्धतियों पर काम करने की अपील की ताकि कर्नाटक में खाद्य सुरक्षा बनी रहे।
आगे की राह
फसल हानि का मुआवजा, स्टार्टअप को बढ़ावा, बुनियादी ढाँचे का विकास और वैज्ञानिक हस्तक्षेप जैसी संयुक्त पहलें कर्नाटक के किसानों के लिए राहत और अवसर लेकर आएंगी। सरकार की दृष्टि केवल मानसूनी क्षति से उबरने तक सीमित नहीं है, बल्कि नवाचार और टिकाऊ पद्धतियों के माध्यम से दीर्घकालिक मजबूती सुनिश्चित करना भी है।
कृषि मेला ने शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और किसानों को एक साथ लाने का मंच प्रदान किया है, जिससे राज्य एक मजबूत और टिकाऊ कृषि ढाँचा बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
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