गेहूं की बुवाई में यदि देरी करी तो हो सकते हैं नुक्सान

गेहूं की बुवाई में यदि देरी करी तो हो सकते हैं नुक्सान

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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के निदेशक ने किसानोंसे बातचीत कर यह सूचना दी कि, यदि वे गेहूं की अच्छी बुवाई करना चाहते हैं तो २० नवंबर से पहले तैयारी कर लें।

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उन्होंने किसानों को यह भी जानकारी दी की यदि बुवाई में जितनी देरी करेंगे उतना ही पैदावार भी प्रभावित हो सकती है। इसका कारण यह है कि, ज़्यादा गरम हवाएं चलने से गेहूं के दानों में वजन कम हो जाता है।

बुवाई में देरी से पैदावार प्रभावित होती है । देर से बुवाई करने पर गेहूं के दानों में वजन कम हो जाता है क्योंकि उस वक्त गरम हवाएं चलने लगती हैं। सही समय पर गेहू कि उपज में सही खाद और पानी मिल सकें और अगर बुवाई के बाद जितनी ठण्ड मिलती है है, उससे फुटाव अच्छा होता है और बुवाई भी अच्छी तरह से होती है।

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गेहूं की विभिन्न किस्में

  • कृषि वैज्ञानिकों का कहना हैं कि, सही गेहूं का ही चुनाव कर बुवाई करें।
  • इसके फायदे यह हैं कि यह रोग प्रतिरोधी होती हैं जिससे दवा के छिड़काव का खर्च बचेगा दूसरी ओर पैदावार अच्छी मिलती है।
  • डीबीडब्ल्यू-222 गेहूं की उन्नत किस्मों में शामिल है।
  • इस किस्म से एक हेक्टेयर में किसान ६१ क्विंटल से अधिक पैदावार हासिल कर सकते हैं तथा इसे १४३ दिनों में तैयार किया जा सकता है।
  • इसके अतरिक्त – डीबीडब्ल्यू-१८७ एनईपीजेड, डीबीडब्ल्यू-१८७ एनडब्ल्यूपीजेड,डीबीडब्ल्यू ४७, डीबीडब्ल्यू-२५२ गेहूं की किस्मों का चुनाव कर सकते हैं।
  • यह किस्में अलग अलग क्षेत्र और न्यूनतम अवधि के लिए पायी जाती है।

बुवाई में देरी से होते हैं ये नुकसान

  • सिंचित दशा में देर से बुवाई दिसंबर के पहले पखवाड़े में समाप्त कर लेने में ही समझदारी है।
  • सिंचित दशाओं में समय से बुवाई के लिए बीज दर १०० किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर है निश्चित है।
  • १२५ किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर गेहूं कि उचित बीज दर निश्चित है।
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