रबी सीजन 2024-25 में 6.41 लाख टन दालों की खरीद पर , 2.75 लाख किसानों को मिला फायदा
प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) छोटे और सीमांत किसानों के लिए एक प्रभावी सुरक्षा तंत्र के रूप में उभरा है। यह योजना किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने, बिचौलियों की भूमिका कम करने और कृषि क्षेत्र में स्थिरता लाने में मददगार साबित हुई है। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि हो रही है, बल्कि वे आत्मनिर्भर भी बन रहे हैं।
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कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं। इनमें से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नीति विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस नीति के तहत खरीफ और रबी सीजन की 24 फसलों के लिए उत्पादन लागत का 1.5 गुना एमएसपी तय किया गया है, जिनमें प्रमुख अनाज, श्रीअन्न (बाजरा), दालें, तिलहन, खोपरा, कपास और जूट शामिल हैं। इसके अलावा, PM-AASHA योजना दलहन, तिलहन और खोपरा की फसलों के लिए न्यूनतम मूल्य सुनिश्चित करती है।
PM-AASHA योजना का विस्तार
2018 में शुरू हुई PM-AASHA योजना का उद्देश्य किसानों को बाजार मूल्य में उतार-चढ़ाव से बचाना और उनकी आय को स्थिर रखना है। 2024 में इसे और मजबूत किया गया, जिसमें तीन प्रमुख योजनाओं को जोड़ा गया:
- मूल्य समर्थन योजना (PSS):
इस योजना के तहत राज्य सरकारें दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद के लिए 25% तक की सीमा तय कर सकती हैं। साथ ही, मंडी कर में छूट देकर किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने का प्रयास किया जाता है। - मूल्य कमी भुगतान योजना (PDPPS):
तिलहन उत्पादकों के लिए लागू इस योजना में, एमएसपी और बाजार मूल्य के अंतर की भरपाई किसानों को की जाती है। - बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS):
खराब होने वाली फसलों जैसे टमाटर, प्याज और आलू के मूल्य में अस्थिरता पर नियंत्रण पाने के लिए इस योजना के तहत सरकार बाजार हस्तक्षेप करती है। यदि कीमतें 10% से अधिक गिरती हैं, तो राज्य सरकार के अनुरोध पर केंद्र हस्तक्षेप करता है।
खरीद और किसानों को लाभ
रबी 2023-24 सीजन में, सरकार ने 2.75 लाख किसानों से 6.41 लाख मीट्रिक टन दलहन खरीदा, जिसमें 2.49 लाख मीट्रिक टन मसूर दाल, 43,000 मीट्रिक टन चना दाल और 3.48 लाख मीट्रिक टन मूंग दाल शामिल हैं। इसके अलावा, 5.29 लाख किसानों से 12.19 लाख मीट्रिक टन तिलहन की खरीद की गई।
खरीफ 2024 सीजन में, सोयाबीन के बाजार मूल्य में गिरावट के चलते सरकार ने PM-AASHA योजना के तहत 5.62 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन की खरीद की, जिससे 2,42,461 किसानों को 2,700 करोड़ रुपये का लाभ हुआ।
अब तक का प्रभाव
2018-19 से लेकर अब तक, PM-AASHA योजना के अंतर्गत 195.39 लाख मीट्रिक टन दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद की जा चुकी है, जिससे 99 लाख से अधिक किसानों को फायदा हुआ है।
किसानों की आय में वृद्धि
इन योजनाओं ने किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया है, जिससे वे बाजार की कीमतों में गिरावट से बच सके हैं। इसके परिणामस्वरूप उनकी आय में वृद्धि हुई है और आर्थिक स्थिरता प्राप्त हुई है।
मूल्य अस्थिरता पर नियंत्रण
बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) के तहत, सरकार टमाटर, प्याज और आलू जैसी फसलों की कीमतों में असंतुलन को कम करने का प्रयास करती है। इससे उत्पादक राज्यों में कम कीमत और उपभोक्ता राज्यों में ऊंची कीमतों के बीच सामंजस्य स्थापित होता है।
निष्कर्ष:
PM-AASHA जैसी योजनाएं किसानों के जीवन स्तर को सुधारने और कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इससे न केवल किसानों की आय बढ़ रही है, बल्कि उनकी उपज को बाजार में उचित मूल्य भी मिल रहा है।
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