सरकार ने २०२१-२२ में गेहूं की खरीद ९.५६ प्रतिशत बढ़कर ४२७.३६ लाख टन रहने का अनुमान लगाया है। गेहूं प्रमुख रबी फसल है। मार्च के अंत से कटाई शुरू होती है और अप्रैल से गति बढ़ जाती है।
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केंद्रीय सचिव ने राज्य खाद्य सचिवों की एक बैठक की अध्यक्षता में खरीफ विपणन सीजन के चावल (रबी फसल) और रबी विपणन सीजन (RMS) २०२१-२२ की व्यवस्था पर चर्चा की।
कृषि मंत्रालय ने पिछले महीने २०२०-२१ फसल वर्ष (जुलाई-जून) के लिए दूसरा अग्रिम अनुमान जारी किया था।
एक रिपोर्ट के अनुसार, २०२०-२१ में ३८९ .९३ लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी जबकि २०२१-२२ में ४२७.३६३ लाख टन गेहूं की खरीद का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले साल की तुलना में ९.५६ प्रतिशत अधिक है।
राज्यों में गेहूं की खरीद का अनुमान कुछ इस तरह लगाया गया है मध्य प्रदेश १३५ लाख टन, हरियाणा ८० लाख टन, पंजाब में गेहूं की खरीद १३० लाख टन, और उत्तर प्रदेश में ५५ लाख टन खरीद की उम्मीद है।
२०२० -२१ में रबी चावल की खरीद कुल ११९.७२ लाख टन बताई जा रही है। जो केएमएस २०१९-२० के दौरान ९६.२१ लाख टन से २४.४३ प्रतिशत अधिक है। २०२०-२१ के फसल वर्ष में भारत का खाद्यान्न उत्पादन २ प्रतिशत बढकर ३,०३३.४ लाख टन के उच्चतर स्तर पर होने का अनुमान है, इसका कारण पिछले साल हुई अच्छी बारिश है जो दालों, चावल, गेहूं में उत्पादन बताया जा रहा है।
पिछले वर्ष चावल उत्पादन १,१८८ .७ लाख टन के मुकाबले १,२०३ .२ लाख टन दर्ज किया गया है।
“गेहूं का उत्पादन पिछले वर्ष में १,०७८ .६ लाख टन से बढ़कर २०२० -२१ में रिकॉर्ड १,०९२ .४ लाख टन होने का अनुमान है।”
भारतीय खाद्य निगम (FCI) खाद्यान्नों की खरीद और वितरण के लिए नोडल एजेंसी है। यह खाद्य कानून और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत आवश्यकता को पूरा करने के लिए किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं और चावल की खरीद करता है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत, जिसे २०१३ में संसद द्वारा पारित किया गया था, केंद्र ८० करोड़ से अधिक लोगों को २ -३ रुपये प्रति किलो की अत्यधिक दर पर प्रति व्यक्ति ५ किलोग्राम गेहूं और चावल प्रदान करता है।
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