केंद्र सरकार ने गेहूं और अन्य पांच प्रमुख रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी की घोषणा की है। इस निर्णय का उद्देश्य किसानों की आय को बेहतर बनाना और आगामी रबी सीजन में आवश्यक फसलों की खेती को प्रोत्साहित करना है।
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गेहूं के लिए नया MSP ₹2,425 प्रति क्विंटल तय किया गया है, जो 2024-25 सीजन के पिछले दर ₹2,275 प्रति क्विंटल से अधिक है। यह ₹150 की बढ़ोतरी है, जो गेहूं किसानों को बहुत जरूरी समर्थन प्रदान करती है।
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केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों की भलाई के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा कि गेहूं, जौ, चना, मसूर, सरसों, और कुसुम जैसी फसलों के MSP में लगातार बढ़ोतरी मोदी सरकार की प्राथमिकता को दर्शाती है, जिससे किसानों को उचित मूल्य सुनिश्चित हो सके।
मुख्य फसलों में MSP में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी
इन फसलों में सरसों और राई की MSP में सबसे अधिक ₹300 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है, जिससे यह ₹5,950 हो गई है। मसूर (लेंटिल) की MSP अब ₹6,700 प्रति क्विंटल हो गई है, जो ₹275 की बढ़ोतरी है। अन्य फसलों जैसे चना, कुसुम, और जौ की MSP में भी क्रमशः ₹210, ₹140 और ₹130 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है।
MSP बढ़ोतरी का विवरण
फसल | MSP 2025-26 (₹/क्विंटल) | उत्पादन लागत (₹/क्विंटल) | MSP 2024-25 (₹/क्विंटल) | MSP में बढ़ोतरी (₹/क्विंटल) | लागत पर मार्जिन (%) |
---|---|---|---|---|---|
गेहूं | 2,425 | 1,182 | 2,275 | 150 | 105% |
जौ | 1,980 | 1,239 | 1,850 | 130 | 60% |
चना | 5,650 | 3,527 | 5,440 | 210 | 60% |
मसूर (लेंटिल) | 6,700 | 3,537 | 6,425 | 275 | 89% |
सरसों और राई | 5,950 | 3,011 | 5,650 | 300 | 98% |
कुसुम | 5,940 | 3,960 | 5,800 | 140 | 50% |
यह कदम केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें उत्पादन की अखिल भारतीय औसत लागत का 1.5 गुना MSP तय करने का वादा किया गया था। सरकार ने अपेक्षित मार्जिन भी साझा किया, जिसमें गेहूं किसानों को उत्पादन लागत पर 105% का मार्जिन मिलेगा, जबकि सरसों और राई के लिए 98%, मसूर के लिए 89%, और अन्य रबी फसलों जैसे चना, कुसुम और जौ के लिए 50-60% के आसपास रहेगा।
MSP में वृद्धि करके, सरकार का उद्देश्य किसानों को उचित मूल्य प्रदान करना और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करना है, जिससे कृषि क्षेत्र को अधिक आर्थिक स्थिरता प्राप्त हो सके। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब कृषि क्षेत्र विभिन्न हिस्सों में असामान्य बारिश और सूखे जैसे मौसम संबंधी चुनौतियों से उबर रहा है। MSP में वृद्धि को किसानों को वित्तीय स्थिरता प्रदान करने के उपाय के रूप में देखा जा रहा है, जिन्होंने पिछले खरीफ सीजन के दौरान कठिनाइयों का सामना किया था। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से आवश्यक फसलों की खेती को प्रोत्साहन मिलेगा और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
हाल की चर्चाओं में अंतर्राष्ट्रीय गेहूं बाजार पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है, जहां बढ़ती कीमतों ने खाद्य मुद्रास्फीति की चिंताओं को जन्म दिया है। भारत, जो दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देशों में से एक है, इस उच्च MSP के साथ अपने घरेलू आपूर्ति को स्थिर करने की उम्मीद कर रहा है। इसके अतिरिक्त, सरकार सीधे लाभ हस्तांतरण और फसल बीमा योजनाओं तक बेहतर पहुंच जैसी पहलों का भी पता लगा रही है, जिससे आगामी सीजन में किसान समुदाय की आजीविका को सुरक्षित किया जा सके।
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