भारत में ट्रेक्टर उद्योग अधिक इकायों में ट्रैक्टरों का उत्पादन करता है। ट्रैक्टर का उत्पादन वित्त वर्ष २०११ में दस लाख ट्रैक्टरों का उत्पादन पूरे वर्ष में रखता है पर यह गड़ना वैश्विक मात्रा का भी आधा है। आकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष घरेलु ट्रेक्टर बिक्री ९ लाख थी और निर्यात एक लाख इकायों से अधिक थी।
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ट्रैक्टर उद्योग ने कोरोना की पहली लहर की अपेक्षा दूसरी लहर में भीतरी इलाकों में व्यापक प्रभाव डाला था। इसके अलावा ट्रैक्टर उद्योग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है इनमें शामिल अपर्याप्त वित्त, ट्रैक्टरों के आधुनिकीकरण की आवश्यकता, लंबी खुदरा प्रक्रिया, सामग्री की बढ़ती लागत, आदि।
वही दूसरी ओर कुछ अवसर भी शामिल हैं जैसे उत्पादकता में सुधार और निर्यात,कृषि मशीनीकरण में वृद्धि, सटीक खेती और कस्टम हायरिंग ।
वहीं ट्रैक्टर ब्रांड टैफे के प्रेसिडेंट भारतेंदु कपूर का कहना है कि, “कंपनी के उद्योगकर्ता को उम्मीद है कि इस साल डोमेस्टिक मार्किट में ९ लाख ५० हज़ार यूनिट्स का होगा तथा एमएसपी ग्रोथ में बढ़ोत्तरी की उम्मीद है।’’
ट्रैक्टर उद्योग भारत के ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में ४ अरब से ५ अरब डॉलर का योगदान देता है।
भारत के सकल घरेलू उत्पाद के घरेलु कृषि क्षेत्र का योगदान लगभग १६ प्रतिशत है। सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों और खेत से जुड़े ट्रैक्टरों के लिए अवसर और उपयोगिताएँ हैं।
ग्रामीण क्षेत्र का ४५ प्रतिशत योगदान भारत की समग्र अर्थव्यवस्था में शामिल है। जिसमें ३० प्रतिशत विनिर्माण और सेवाओं में शामिल लघु उद्योगों से है।
ट्रैक्टर उद्योग में बढ़ोत्तरी के साथ कुछ अवसर भी प्रदान किये जा रहे है जैसे :
उत्पादकता में सुधार,कस्टम हायरिंग और सटीक खेती, फार्म मशीनीकरण,और निर्यात ट्रैक्टर उद्योग के लिए उपलब्ध कुछ अवसर दिए गए हैं। इसके आलावा कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है जैसे ट्रैक्टरों के आधुनिकीकरण की आवश्यकता, सामग्री की बढ़ती लागत, अगले महीने से ट्रेम IV कार्यान्वयन, आदि।
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