Sistema Bio किसानों के हर महीने 1,000 रुपये बचा रही है, देशभर में लगाए 90,000 बायोगैस प्लांट
Sistema Bio के डायरेक्टर अतुल मित्तल ने बताया कि बायोगैस एक जैविक ईंधन है, जो कार्बनिक पदार्थों के विघटन से बनता है। इसके लिए गाय, भैंस के गोबर, पोल्ट्री और स्वाइन फार्मिंग के गोबर का इस्तेमाल किया जाता है। बायोगैस में मीथेन गैस होती है, जिसका उपयोग कुकिंग में किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि देशभर में 90,000 से ज्यादा प्लांट लगाए जा चुके हैं और यूपी, तेलंगाना, गुजरात समेत 22 राज्य सरकारों के साथ साझेदारी की गई है।
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Sistema Bio बायोगैस के जरिए किसानों और ग्रामीणों के खर्च को कम करने में मदद कर रही है। कंपनी का कहना है कि वह किसानों के हर महीने 1,000 रुपये से अधिक का खर्च बचा रही है। देशभर में 90,000 से अधिक बायोगैस प्लांट स्थापित किए गए हैं, जिनसे मिलने वाले ईंधन के इस्तेमाल से कुकिंग गैस पर होने वाले खर्च में बचत हो रही है। इसके साथ ही कंपनी पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
बायोगैस क्या है और कैसे बनती है?
Atul Mittal ने बताया कि बायोगैस एक जैविक ईंधन है, जो कार्बनिक पदार्थों के विघटन से बनती है, जिसे एनारोबिक डाइजेशन कहा जाता है। यह किसी भी जैविक पदार्थ, जैसे गाय, भैंस, पोल्ट्री या स्वाइन फार्मिंग के गोबर से बन सकती है। इन पदार्थों के प्राकृतिक विघटन से बायोगैस का निर्माण होता है, जो मीथेन गैस का मुख्य स्रोत है और इसका इस्तेमाल कुकिंग में किया जा सकता है। इसके अलावा, इससे क्लीन एनर्जी और जैविक खाद भी बनाई जाती है।
किसान हर महीने 1,000 रुपये तक की बचत कर रहे हैं
अतुल मित्तल ने कहा कि बायोगैस प्लांट से उत्पन्न बायोगैस का उपयोग कुकिंग के लिए किया जाता है, जिससे किसानों को एलपीजी सिलेंडर की जरूरत नहीं पड़ती। इसके अलावा, उन्हें लकड़ी और कोयला इकट्ठा करने की भी आवश्यकता नहीं होती। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की उज्ज्वला स्कीम अच्छी है, लेकिन रीफिलिंग में समस्याएं होती हैं। बायोगैस प्लांट लगाने के बाद किसान गैस सिलेंडर के खर्चे से बच जाते हैं। इससे 800 रुपये से 1,000 रुपये तक का खर्च बचाया जा सकता है।
बायोगैस प्लांट लगाने की प्रक्रिया
अतुल मित्तल ने बताया कि बायोगैस प्लांट लगाने की प्रक्रिया बेहद आसान है। हमारी टीम किसानों के घर जाकर उन्हें Sistema Bio के नवीनतम बायोगैस प्लांट के बारे में जानकारी देती है और ट्रेनिंग प्रदान करती है। इसके लिए लगभग 1.5 से 2.5 फीट गहरा गड्ढा खोदना पड़ता है, और फिर टेक्नीशियन्स द्वारा प्लांट इंस्टॉल किया जाता है। शुरुआत में 500 किलो गोबर डाला जाता है, और लगभग 30-35 दिनों में गैस निकलने लगती है। टीम इस गैस का उपयोग करने का तरीका भी किसानों को बताती है।
किसान के लिए 10,000 रुपये में बायोगैस प्लांट
अतुल मित्तल ने बताया कि देशभर में 90,000 बायोगैस प्लांट लगाए जा चुके हैं। छोटे और सीमांत किसानों के यहां इन प्लांट्स की स्थापना की गई है। दो घन मीटर का बायोगैस प्लांट लगाने की लागत लगभग 35-36 हजार रुपये होती है। लेकिन, कार्बन क्रेडिट के जरिए हम किसानों को इस खर्च को घटाकर करीब 10,000 रुपये तक लाने में मदद करते हैं।
राज्य सरकारों के साथ साझेदारी
आने वाले समय में बायोगैस प्लांट्स की संख्या में तेजी से वृद्धि होने की उम्मीद है। इन प्लांट्स का विस्तार डेयरी संचालकों, पशुपालकों, गौशालाओं और कृषि से जुड़े संस्थानों में किया जाएगा। बायोगैस प्लांट लगाने के लिए हम 22 राज्यों में काम कर रहे हैं। गुजरात सरकार के साथ कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है, और उत्तर प्रदेश सरकार के साथ भी काम शुरू हो चुका है। तेलंगाना सरकार के साथ भी हम कोऑपरेटिव डेयरी और प्राइवेट संस्थानों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
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