भारत से कई देशों में बड़े पैमाने पर अंडों का निर्यात किया जाता है, लेकिन भारतीय अंडों के प्रमुख आयातक कतर ने अब एक नई शर्त रख दी है, जिससे भारतीय पोल्ट्री कारोबारियों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। कतर सरकार ने अब सिर्फ डबल ए ग्रेड और ए ग्रेड अंडों की ही मांग की है, जिससे भारत से कतर को होने वाले अंडों के निर्यात पर असर पड़ सकता है।
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नए ग्रेड मानक बनाए चुनौतीपूर्ण किसान तक की रिपोर्ट के अनुसार, कतर सरकार की इस नई शर्त ने भारतीय पोल्ट्री सेक्टर में चिंता बढ़ा दी है। अब कतर को सिर्फ 70 ग्राम से अधिक वजन वाले डबल ए ग्रेड अंडे और 60 से 69 ग्राम के ए ग्रेड अंडे ही चाहिए। पहले वजन को लेकर कोई विशेष शर्त नहीं थी, लेकिन अब इस नए नियम के चलते भारतीय पोल्ट्री कारोबारियों को अंडों की ग्रेडिंग करनी होगी, जिससे उनके लिए चुनौतियाँ बढ़ गई हैं।
भारत से कतर को अंडे का निर्यात और नए मानक भारत से विशेष रूप से तमिलनाडु के नमक्कल क्षेत्र से हर महीने कतर को लगभग 10 कंटेनर अंडे भेजे जाते हैं। पोल्ट्री सेक्टर में अंडा ही एकमात्र उत्पाद है जो भारत से बड़े पैमाने पर निर्यात किया जाता है, और कतर इसकी प्रमुख खरीददार है। हालांकि, अब कतर ने नए ग्रेडिंग मानक तय कर दिए हैं, जिन पर खरा उतरने पर ही वह भारतीय अंडों की खरीद करेगा।
इस बदलाव से भारतीय पोल्ट्री उद्योग को संभावित आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है, और उन्हें निर्यात बढ़ाने के लिए अंडों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना होगा।
कतर ने अंडों के लिए ग्रेडिंग की नई शर्तें लागू कीं
कतर सरकार द्वारा अब केवल डबल ए और ए ग्रेड वाले अंडों की मांग से भारतीय पोल्ट्री उद्योग, विशेष रूप से तमिलनाडु के नमक्कल की अंडा मंडियों में हलचल मच गई है। नमक्कल भारत की सबसे बड़ी अंडा मंडी है, और कतर का यह कहना है कि अब वह कम ग्रेड वाले अंडों की खरीद नहीं करेगा। पोल्ट्री विशेषज्ञों के अनुसार, अभी तक कतर को बिना ग्रेडिंग के ही अंडे भेजे जा रहे थे, जिन्हें सीधे पैक कर निर्यात कर दिया जाता था।
इंटरनेशनल ऐग कमीशन की चेतावनी
इंटरनेशनल ऐग कमीशन के प्रेसिडेंट और श्रीनिवास ग्रुप के एमडी सुरेश चित्तुरी ने बताया कि काफी समय से यह मुद्दा उठाया जा रहा था कि भारत से निर्यात होने वाले अंडों की गुणवत्ता खराब है, और कई बार गंदे अंडे भी भेजे जाते हैं। उन्होंने कहा कि कतर का यह कदम अप्रत्याशित नहीं है और इसकी आशंका पहले से थी। हालांकि हर महीने 40-45 लाख अंडों का निर्यात ज्यादा बड़ा आंकड़ा नहीं है, पर इससे भारतीय पोल्ट्री की अंतरराष्ट्रीय साख पर असर जरूर पड़ा है।
प्राकृतिक कारणों से चुनौती
पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के कोषाध्यक्ष रिकी थापर ने बताया कि मुर्गियाँ स्वाभाविक रूप से हमेशा 70 या 60 ग्राम वजन का अंडा नहीं देतीं, क्योंकि यह पूरी तरह प्राकृतिक प्रक्रिया पर निर्भर है। एक निश्चित उम्र के बाद ही मुर्गियाँ भारी वजन के अंडे देने लगती हैं। ऐसे में पोल्ट्री फार्म को अंडों की ग्रेडिंग मशीन से करनी होगी, ताकि केवल 60 और 70 ग्राम के अंडे ही निर्यात के लिए अलग किए जा सकें।
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