सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार, महाराष्ट्र के कृषि आयुक्त ने दावा किया हैं कि प्रीमियम कि स्थापना प्राप्त होने के बावजूद, खरीफ २०२१ सीजन के लिए जनरल इन्शुरन्स कंपनी ने प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत अभी तक दावों का भुगतान नहीं किया हैं। इसके आलावा अन्य बीमा कम्पनीज ने प्रभावित किसानों के बैंक खातों में मौसम प्रतिकूल और स्थानीय आपदा की राशि जमा करना शुरू कर दी हैं।
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साल २०२१ में पहले ही बीमा फर्मों को २३१२ .२२ करोड़ रूपए की प्रीमियम राशि प्राप्त हो चुकी हैं। सभी बीमा फर्मों ने मध्य-मौसम प्रतिकूलता और स्थानीय आपदा दावों की राशि पीड़ितों में जमा करना शुरू कर दी हैं किन्तु रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी का नाम कही भी नहीं हैं।
भारत सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों अनुसार PMFBY को निष्पादित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार के साथ उसका एक दीर्घकालिक अनुबंध तीन वर्ष का निश्चित किया हैं। दिशानिर्देश अनुसार नुकसान की भरपाई के लिए प्रीमियम सब्सिडी दी जानी चाहिए। कंपनी की प्रतिबद्धताओं और उसके बाद की दावा वसूली का भुगतान ने मिलना भी नुकसान का एक कारण बताया जा रहा हैं।
पिछले पांच वर्षों में रिलायंस जनरल इंश्योरेंस में महाराष्ट्र में फसल बीमा योजनाओं से २२८५ करोड़ रूपए का मुनाफा अर्जित किया हैं, इसके बाद भी प्रीमियम भुगतान के लिए कंपनी के दावों का अनुपात २६.५५ प्रतिशत था जो सभी बीमा कंपनी से काफी कम हैं। वहीं दूसरी कम्पनीज का अनुपात निम्नानुसार हैं : एचडीएफसी एर्गो का भुगतान अनुपात ४२ प्रतिशत है, भारती एक्सा का एक भुगतान अनुपात प्रतिशत का भुगतान हैं, ओरिएंटल इंश्योरेंस का भुगतान अनुपात १६३ प्रतिशत रहा।
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इससे यह पता चलता हैं कि रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी की लापरवाही से किसानों का भुगतान करने से बच रही हैं; किसानों के भुगतान से बचने के लिए जानबूझकर नुकसान को दबा रही है; तथा पीएमएफबीवाई के नाम को पूरी तरह से लाभ को इंकार कर रही हैं।
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