पाम तेल का आयत मलेशिया से भारत में फरवरी माह में हिट होने कि आशंका है , यह वार्षिक बजट में पेश किये गए रिपोर्ट के अनुसार कच्चे पाम तेल पर मूल आयात शुल्क 27.5% से घटाकर 15 कर दिया था ।
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वार्षिक बजट में यह भी प्रस्तुत किया गया कि सूरजमुखी तेल और सोयाबीन तेल पर कस्टम ड्यूटी घटाकर 15% से 35% कर दी गयी ।
सूरजमुखी तेल पर 20% उपकर, कच्चा सोयाबीन और सीपीओ पर 17.5% उपकर सरकार द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
कुछ बदलाव किए गए हैं जो सीपीओ के आयात को प्रभावित करते हैं और पहले के 30.25% के मुकाबले 35.75% कर को आकर्षित करते हैं, लेकिन कच्चे सोया तेल के लिए समग्र शुल्क संरचना में कोई बदलाव नहीं होगा। पाम तेल से शुल्क लाभ कम हो गया है।
ताड़ के तेल के आयात में गिरावट का एक अन्य कारण यह भी हो सकता हैं कि तिलहनी फसलों की बेहतरीन घरेलू फसल की अधिक संभावना होगी जब सरसो की पिछले सीजन के साथ तुलना की जाएगी।
भारत में मलेशियाई पाम तेल का आयात जनुअरी 2021 तक काफी प्रभावशाली था और 31% तक बढ़ गया था, भारत ने बढ़ती खाद्य कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए नवंबर 2020 में आयात कर घटा दिया।
पिछले महीने देश ने 780, 741 टन प्लम तेल का आयात किया कच्चे पाम तेल पर आयात कर भारत ने नवंबर के अंत में 37.5% से घटाकर 27.5% कर दिया था।
भारत प्रतिवर्ष 9 मिलियन टन से अधिक ताड़ के तेल की खरीद करता है, जिसका कुल खाद्य तेल आयात लगभग दो-तिहाई है। भारत ने 2019 में 4.4 मिलियन टन मलेशियाई पाम तेल खरीदा था।
इंडोनेशिया और मलेशिया से भारत ताड़ के तेल का आयात करता है, जबकि सोया तेल और सूरजमुखी तेल सहित अन्य तेल अर्जेंटीना, ब्राजील, यूक्रेन और रूस से प्राप्त होते हैं।
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