मनरेगा जॉब कार्ड 2024 (MGNREGA JOB Card): मजदूरों को मनरेगा बजट से कोई लाभ नहीं होगा:
मनरेगा (महात्मा गांधी नेशनल रूरल इंप्लायमेंट गारंटी एक्ट) देश की सबसे बड़ी रोजगार परक योजना है। इस योजना में 24 करोड़ 80 लाख ग्रामीण रजिस्टर्ड हैं जो हर साल 100 दिन का रोजगार प्राप्त करने के हकदार हैं। केंद्र सरकार ने बजट 2024 में मनरेगा का बजट 26 हजार करोड़ बढ़ा दिया है। लेकिन मनरेगा अपडेट 2024 के अनुसार देश के विभिन्न राज्यों के 1 करोड़ से कम मजदूरों को योजना का अब लाभ नहीं मिलेगा। उन्हें ग्राम पंचायत स्तर पर 100 दिन का रोजगार नहीं दिया जाएगा। इन लोगों के नाम हटाने के पीछे सरकार ने कुछ कारण बताए हैं। आइए, जानें किन लोगों को मनरेगा योजना का लाभ नहीं मिलेगा और नाम हटाने के पीछे क्या कारण है।
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एक साल में मनरेगा पर 86 हजार करोड़ रुपए का खर्च: नए बजट में वृद्धि:
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट (मनरेगा) के माध्यम से, केंद्र सरकार हर साल ग्रामीण इलाकों में रोजगार सृजन के लिए बड़ी राशि निवेश करती है। वित्तवर्ष 2024-25 के लिए मनरेगा योजना के तहत 86 हजार करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है। अंतरिम बजट 2024 में, केंद्र सरकार ने मनरेगा के लिए 26 हजार करोड़ रुपए का बजट बढ़ाया है, जो पिछले 10 सालों में सबसे अधिक है। इससे पहले, गत वित्तवर्ष में मनरेगा का बजट 60 हजार करोड़ रुपए था। 2014-15 में यह बजट 33 हजार करोड़ रुपए था। इस बजट वृद्धि से, केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले एक सकारात्मक संकेत दिया है कि वह ग्रामीण भारत के नागरिकों के हित में सदैव संलग्न रहेगी और गांवों में रोजगार के अवसरों को सुनिश्चित करेगी।
मनरेगा जॉब कार्ड (MGNREGA JOB Card) अपडेट 2024: जानें किन मजदूरों को नहीं मिलेगा फायदा
ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट (MGNREGA) में देश के 25.80 करोड़ परिवार पंजीकृत हैं, जिनमें से 14.33 करोड़ परिवार सक्रिय हैं। इन मजदूरों ने बीते तीन साल के दौरान कम से कम एक दिन ही काम किया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में एक फरवरी 2024 तक 85.64 लाख जॉब कार्ड सिस्टम से हटा दिया हैं। इनमें से अप्रैल 2022 से फरवरी 2024 तक 311.19 लाख जॉब कार्ड हटाए गए हैं।
इन लोगों को अब नहीं मिलेगा मनरेगा मजदूरी का लाभ। मनरेगा जॉब कार्ड (MGNREGA JOB Card) हटाने के कुछ मुख्य कारण :
फर्जी जॉब कार्ड धारक
डुप्लीकेट जॉब कार्ड धारक
काम करने के इच्छुक नहीं व्यक्ति
वे परिवार जो स्थायी रूप से ग्राम पंचायत से स्थानांतरित हो गए हैं
इन 12 राज्यों में हुए है सबसे ज्यादा मनरेगा (MGNREGA) मजदूर रजिस्टर्ड
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत के 12 राज्यों में एक करोड़ से ज्यादा मजदूर मनरेगा योजना में पंजीकृत हैं। सबसे ज्यादा पंजीकृत मजदूर महाराष्ट्र से हैं, जबकि सबसे ज्यादा सक्रिय मजदूर उत्तरप्रदेश में हैं। इस सारिणी से समझें।
अब मनरेगा का भुगतान आधार आधारित पेमेंट बिज सिस्टम से: नए तंत्र में बदलाव।
मनरेगा मजदूरों के बीच एक गलतफहमी फैल गई है कि उन्हें योजना से हटा दिया गया है क्योंकि उनका बैंक खाता आधार से लिंक नहीं है, जो बिल्कुल गलत है। राज्य सरकारें हर साल की तरह नियमित प्रक्रिया के तहत नाम हटाती हैं। मंत्रालय के अनुसार, मनरेगा का भुगतान मजदूरों द्वारा प्रदान किए गए बैंक खातों और डाकघर खातों में नियमित रूप से किया जायेगा।
इन 3 राज्यों में सबसे कम मनरेगा मजदूर
देश के 2 केंद्र शासित प्रदेश और एक राज्य में 10 हजार से भी कम परिवार मनरेगा में कार्यशील हैं। मनरेगा की आधिकारिक वेबसाइट (https://nrega.nic.in) के अनुसार, लक्षद्वीप में 242 श्रमिक सक्रिय हैं, जबकि 16 हजार 666 श्रमिक पंजीकृत हैं। इसी तरह, दादर नगर हवेली और दमनद्वीप में 1,976 श्रमिक सक्रिय हैं और 34,226 श्रमिक पंजीकृत हैं। गोवा में 7,867 मनरेगा श्रमिक कार्यशील हैं, जबकि 50,819 श्रमिक पंजीकृत हैं।
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