डॉ. मनमोहन सिंह भारत के आर्थिक सुधारों के जनक
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन हो गया है। एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और देश के पूर्व प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गुरुवार शाम तबीयत खराब होने के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली।
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किसानों के लिए ऋण माफी और विकास योजनाएं
डॉ. सिंह ने वित्त मंत्री के रूप में 1991 में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था विश्व बाजार के लिए खुली। उनके कार्यकाल में 2008 में कृषि संकट को दूर करने के लिए 60,000 करोड़ रुपये की कृषि कर्जमाफी की गई, जो केंद्र सरकार की ओर से की गई अंतिम बड़ी कर्जमाफी थी। उन्हें भारत में आर्थिक सुधारों के जनक के रूप में देखा जाता है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि
डॉ. सिंह की सरकार ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer) प्रणाली की शुरुआत की, जिससे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं के तहत किसानों को सीधे बैंक खातों में पैसे मिलने का मार्ग प्रशस्त हुआ। 2005 में ग्रामीण क्षेत्रों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) की शुरुआत की। इस योजना के तहत हर ग्रामीण परिवार को 100 दिनों के रोजगार की गारंटी दी गई, जिससे लाखों लोगों की आजीविका में सुधार हुआ। यह योजना आज भी ग्रामीण विकास में अहम भूमिका निभा रही है।
कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर
किसानों की आय को लेकर डॉ. सिंह का दृष्टिकोण स्पष्ट था। दिसंबर 2012 में उन्होंने कहा था कि किसानों की आय तभी बढ़ेगी जब कृषि में कम लोग शामिल होंगे। उन्होंने जोर दिया था कि खाद्यान्न की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए किसानों की आय और उत्पादन दोनों को बढ़ाना होगा। उन्होंने सुझाव दिया था कि गैर-कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर देकर कृषि पर निर्भरता को कम करना आवश्यक है।
स्वामीनाथन आयोग
हालांकि, उनके कार्यकाल के दौरान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं किया जा सका। 2004 में डॉ. सिंह के प्रधानमंत्री रहते राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया गया था, जिसे बाद में स्वामीनाथन आयोग के नाम से जाना गया। इस आयोग ने 2006 में 201 सिफारिशों के साथ पांच रिपोर्टें सौंपी थीं। लेकिन 2006 से 2014 तक कांग्रेस सरकार इसे लागू नहीं कर पाई, जिसके कारण विरोधी पार्टियां इसे किसानों के खिलाफ नीति करार देती रही हैं।
आधार कार्ड और खाद्य सुरक्षा योगदान
साल 2009 में मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में आधार कार्ड योजना की शुरुआत हुई, जिसे देश के नागरिकों की पहचान सुनिश्चित करने के एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जाता है। यह योजना आज प्रत्येक भारतीय के लिए पहचान का एक अनिवार्य साधन बन चुकी है। उनके दूसरे कार्यकाल के दौरान, 2013 में, गरीबों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू किया गया।
ग्रामीण भारत और कृषि के लिए की धरोहर
साल 2008 में उनकी सरकार ने कृषि ऋण माफी योजना शुरू की, जिसके तहत कृषि संकट से जूझ रहे किसानों को राहत देने के लिए 60,000 करोड़ रुपये के ऋण माफ किए गए। इसके साथ ही, डॉ. सिंह की सरकार ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer) प्रणाली लागू की, जिससे गरीबों तक पहुंचने वाले धन से जुड़ी खामियों को दूर किया जा सका।
डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल में न केवल आर्थिक सुधार किए, बल्कि ग्रामीण भारत और किसानों की बेहतरी के लिए भी कई अहम कदम उठाए। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।
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