भारत में भांग (हैम्प) का उपयोग दवाइयों, पोषण, व्यक्तिगत देखभाल, वेलनेस उत्पादों और औद्योगिक वस्तुओं के निर्माण में किया जाता है। उत्तराखंड, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में इसे कानूनी तौर पर उगाने की अनुमति है। आइए जानें, भांग की खेती कैसे की जाती है और इसके लिए क्या जरूरी है।
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भांग की खेती के लिए लाइसेंस जरूरी
भांग की खेती करने के लिए सबसे पहले सरकार से लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य है। यह लाइसेंस आयुष मंत्रालय से जारी किया जाता है। आप अपने जिले के कृषि विभाग से संपर्क कर इस संबंध में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। सरकार भांग की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए कई कदम उठा रही है।
भारत में भांग का बाजार
भारत में कानूनी रूप से बेची जाने वाली भांग का बाजार लगभग 50 करोड़ रुपये का है। यहां 100 से अधिक स्टार्टअप भांग के पौधे से जुड़े विभिन्न उत्पादों पर काम कर रहे हैं। इन उत्पादों में दवाइयां, पर्सनल केयर और वेलनेस से जुड़े सामान शामिल हैं।
भांग के औषधीय गुण
भांग का पौधा औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसके फल-फूल वाले ऊपरी हिस्से को सुखाकर गांजा तैयार किया जाता है। इससे निकाला गया तेल चरस कहलाता है। भांग के पत्तों के अलावा इसके तने और जड़ों का भी उपयोग होता है।
भांग के बीज का महत्व
भांग के बीज को संतुलित अनाज माना जाता है। इसमें प्रोटीन, ओमेगा-3, विटामिन और फाइबर प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसकी बढ़ती मांग के चलते यह एक आकर्षक फसल बन गई है।
भांग का इस्तेमाल करने वाले राज्यों की सूची
रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, सिक्किम, छत्तीसगढ़ और पंजाब गांजा और चरस के सबसे बड़े उपयोगकर्ता राज्यों में शामिल हैं। इनमें उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भांग की मांग
यूरोप के इजरायल, इटली और हॉलैंड जैसे देशों में भारत से अवैध तरीके से भांग और अफीम की तस्करी होती है। इसकी वैश्विक मांग अरबों रुपये के बाजार का हिस्सा है।
भांग की खेती का उज्जवल भविष्य
सरकार की मदद और बढ़ती मांग को देखते हुए भांग की खेती एक लाभदायक व्यवसाय बन सकती है। यदि आप इस क्षेत्र में रुचि रखते हैं, तो लाइसेंस और सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए इसे शुरू कर सकते हैं।
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