परवल की खेती करने वाले किसानों को सरकार की ओर से 12,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता प्रदान की जा रही है। किसान कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।
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उत्तर प्रदेश सरकार परवल की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को आर्थिक सहायता दे रही है। इसके तहत, मऊ जनपद में परवल की खेती के लिए 10 हेक्टेयर का लक्ष्य तय किया गया है। इस योजना में किसानों का चयन “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर किया जाएगा। चुने गए किसानों को अनुदान की राशि सीधे उनके बैंक खाते में भेजी जाएगी।
प्रदेश के विभिन्न जिलों में किसान परवल की खेती कर रहे हैं। परवल, कद्दू वर्गीय सब्जियों की श्रेणी में आता है और इसकी खेती बहुवर्षीय होती है। यह सब्जी सुपाच्य, पौष्टिक, स्वास्थ्यवर्धक और औषधीय गुणों से भरपूर होती है।
परवल: स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद सब्जी
परवल स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। यह शरीर को ठंडक प्रदान करने वाला, पित्त का नाश करने वाला और हृदय व मूत्र से जुड़े रोगों में लाभकारी माना जाता है। परवल का उपयोग मुख्य रूप से सब्जी, अचार और मिठाई बनाने में किया जाता है।
उद्यान विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार, परवल में विटामिन, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। निर्यात के दृष्टिकोण से भी परवल एक महत्वपूर्ण सब्जी है। यदि किसान वैज्ञानिक विधियों का उपयोग करके परवल की खेती करें, तो उन्हें बेहतर उत्पादन प्राप्त हो सकता है।
किसी भी प्रकार की भूमि में हो सकती है परवल की खेती, आवेदन प्रक्रिया जानें:
उपयुक्त भूमि का चयन:
परवल की खेती लगभग हर प्रकार की भूमि में की जा सकती है, लेकिन निचली भूमि इसके लिए अनुकूल नहीं होती। जल निकासी वाली जीवांशयुक्त रेतीली या दोमट मिट्टी इस खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसकी बेलें पानी के रुकाव को सहन नहीं कर पातीं, इसलिए ऊंचाई वाली जमीन पर इसे उगाना बेहतर होता है।
आवेदन प्रक्रिया:
किसान भाई परवल की खेती के लिए कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर किसी भी कार्य दिवस में ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
आवेदन की हार्डकॉपी निकालें।
इसके साथ खतौनी की नकल, दो पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड और पासबुक की फोटोकॉपी संलग्न करें।
सभी दस्तावेज संबंधित कृषि कार्यालय में जमा करें।
योजना का लाभ:
योजना के तहत चयनित किसानों को पौधे और खाद नकद मुहैया कराए जाएंगे। अनुदान की राशि सीधे किसान के बैंक खाते में जमा की जाएगी।
ध्यान दें: ऊंचे स्थानों पर खेती और सही जल निकासी की व्यवस्था से परवल की फसल अधिक उपजाऊ और लाभकारी होगी।
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