कल ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने २०२१ का बजट पेश किया है ,जो की मध्यम वर्ग को किसी भी तरह से छूता नहीं दिख रहा है।कृषि के सहायता के लिए एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस (AIDC) को लाया गया है। अलग अलग उत्पादों के लिए उपकर एक समान नहीं है वो विभिन्न उत्पादों के लिए भिन्न होता है।
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यह कर पेट्रोल और डीजल के उपर लागु होता है। लेकिन, एआईडीसी के रूप में लगाई गई राशि को बेसिक एक्साइज ड्यूटी और स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी में बराबर कमी करके काउंटर-बैलेंस किया जा रहा है इस तरह से यह ईंधन पर प्रभाव को निश्चित कर रहा है। इसे ईंधन पर अपने उच्च अप्रत्यक्ष संग्रह पर रोक लगाने के इरादे के रूप में देखा जा सकता है जो जीएसटी के अंतर्गत नहीं आते हैं।
१००% एआईडीसी है जो मादक पेय पदार्थो पर लागु होंगे। यह इसीलिए है क्योंकि इसे एक लग्जरी (भोग) वस्तु के रूप में देखा जाता है और जिसके ऊपर लोग बहुत सरे पैसे ख़र्च कर देते है। अन्य वस्तुए हैं जिन पर एआईडीसी लगाया जाता है।
जैसे सोने और चांदी के ऊपर २.५ % है लेकिन सोने और चांदी के आयात के सीमा शुल्क में 5% की कमी आई है।
अन्य पदार्थ जैसे सेब ,कच्चा पाम तेल, मटर, काबुली चना, बंगाल चना, कच्चा सोयाबीन तेल अदि है जिस पर एआईडीसी लगाया जा रहा है। कपास, कच्चे रेशम और रेशम यॉर्न पर १०%,१०% और १५% तक कस्टम ड्यूटी बढ़ोतरी है।
सीमा शुल्क दरों में समान रूप से मक्का चोकर, चावल की भूसे का तेल और पशु चारा एडिटिव तक लाया जा रहा है।
जिन वस्तुओं पर लक्ष केंद्रित किया है, वे ज्यादातर ऐसी वस्तुएं नहीं हैं जिनका आबादी के एक बड़े वर्ग पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। एफएम ने कहा था कि लेवी केवल वस्तुओं के एक छोटे समूह पर है और यह निश्चित करने के लिए ध्यान गया है कि प्रभाव न्यूनतम हो। कुछ स्थानों पर, जहां एकत्र की गई निधि का उपयोग किया जाएगा, उसका बजट में उलेख्क किया गया है।
१००० मंडिया और इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय बाजार के साथ एकीकृत करने की योजना है और एग्री इंफ्रा फंड को भी एपीएमसी को बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाने के लिए उपलब्ध किया जाएगा।
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