रिपोर्ट के अनुसार, मक्का, हरे चने और काले चने में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है, वही दलहनी फसलों की बुआई में २० प्रतिशत की वृद्धि हुई है, २८ प्रतिशत में कुछ अनाजों में कमी देखी जा रही है।
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अनुमान है कि मार्च के दौरान ४५ प्रतिशत कम वर्षा के बावजूद पिछले साल की तुलना में गर्मियों में फसलों की कुल बुआई ६२.०३ लाख हेक्टेयर में १६ .६ प्रतिशत बढ़ी है।
हरे चने का उत्पादन क्षेत्र में ४.४१ लाख हेक्टेयर बढ़ा है जो पिछले साल (४.०३ लाख हेक्टेयर) था।
काले चने के उत्पादन क्षेत्र में भी १.८६ लाख हेक्टेयर हो गया है जो पिछले साल (१.२१ लाख हेक्टेयर) था।
तमिलनाडु में ग्रीष्मकालीन दालों का क्षेत्रफल २.०६ लाख हेक्टेयर है, जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार में एक लाख हेक्टेयर से कम की रिपोर्ट की गई है।
वही यदि राज्यों में ग्रीष्मकालीन क्षेत्रफल की बात की जाये तो दालों का क्षेत्रफल २.०६ लाख हेक्टेयर है, जबकि बिहार और उत्तर प्रदेश में एक लाख हेक्टेयर से कम की रिपोर्ट दर्ज की गयी है।
कृषि मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि, “ग्रीष्मकालीन बुवाई प्रगति का रुझान सकारात्मक है और बुवाई पर महामारी का कोई असर नहीं है। बयान में कहा गया है कि रबी की लगभग 48 फीसदी फसलें अब तक काटी जा चुकी हैं।”
मक्का के क्षेत्र में वृद्धि ने मोटे अनाजों को ९.५२ लाख हेक्टेयर (७.४४ लाख हेक्टेयर) तक बढ़ा दिया है। मक्का की आवक २८ प्रतिशत बढ़कर ६ ६.४२ लाख हेक्टेयर (५.०१ लाख हेक्टेयर) और बाजरे की २.३३ लाख हेक्टेयर (१.५२ लाख हेक्टेयर) की वृद्धि देखी गई है।
हालांकि, ज्वार की खेती का रकबा घटकर 0.59 लाख हेक्टेयर (0.75 लाख हेक्टेयर) रह गया। गुजरात का मोटे अनाज का रकबा 2.04 लाख हेक्टेयर है, जबकि उत्तर प्रदेश का 1.68 लाख हेक्टेयर और पश्चिम बंगाल का 1.52 लाख हेक्टेयर है।
सबसे ज्यादा धान का क्षेत्र तिलहन में देखा गया है जो ८.६९ लाख हेक्टेयर (७.२९ लाख हेक्टेयर) तक है।
३७.३० लाख हेक्टेयर (३३.०२ लाख हेक्टेयर) में धान प्रमुख ग्रीष्मकालीन फसल है। पश्चिम बंगाल में १०.४२ लाख हेक्टेयर, तेलंगाना में १०.०५ लाख हेक्टेयर और करंटाका में २.७६ लाख हेक्टेयर प्रमुख राज्य थे जहां ग्रीष्मकालीन धान के क्षेत्र में वृद्धि दर्ज की गई थी।
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