फसल भंडारण गोदाम (Crop Storage Godown): इस योजना के जरिए किसानों को उनकी फसलों को असमय बारिश, चोरी और वन्यजीवों के हमलों से बचाने में सहायता प्राप्त हो रही है।
कृषि भंडारण गोदाम (Crop Storage Godown): गुजरात सरकार द्वारा किसानों को उनके भंडारण गोदाम बनाने के लिए सब्सिडी की पेशकश करने वाली विशेष योजना राज्य भर में कई लाभार्थियों के लिए बड़ा सहायक है। इस योजना से किसानों को उनकी फसलों को असमय बारिश, चोरी और वन्यजीवों के हमलों से बचाने में मदद मिल रही है।
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गुजरात सरकार की एक योजना से किसान संतुष्ट हैं। इस योजना में, सरकार किसानों को उनके स्टोरेज गोदामों (Crop Storage Godown) के निर्माण के लिए सब्सिडी प्रदान करती है। यह सब्सिडी पूरे राज्य में सभी लोगों के लिए उपयुक्त होगी । इस सब्सिडी से फसलों को अनुकूल बारिश, चोरी, और जंगली जानवरों के हमलों से बचाया जा रहा है। मुख्यमंत्री फसल भंडारण योजना के रूप में भी जानी जाने वाली फसल भंडारण गोदाम योजना, जिसके तहत किसानों को 75 हजार रुपये की सब्सिडी प्रदान की जाती है। इस धनराशि से उन्हें अपनी फसलों को स्टोर और सुरक्षित रखने का अधिकार मिलता है।
किसानों के सामने चुनौतियां:
किसानों के सामने चुनौतियां आने के मामले में, गुजरात के राजकोट जिले के गोंडल तालुका स्थित एक किसान, दर्शन ने अपने साथी किसानों को बताया। उन्होंने विवेकशीलता से इस बात को उजागर किया कि सरकारी सब्सिडी में मौजूद अपर्याप्त स्टोरेज विकल्पों के कारण फसल का नुकसान और वित्तीय हानि का खतरा होता है। उन्होंने कहा, “हमें उचित मूल्य नहीं मिलता है क्योंकि हम अपनी फसलों को स्टोर नहीं कर सकते हैं, जिससे हमें नुकसान झेलना पड़ता है।” विक्रमभाई, राजकोट जिले के पारा पिपलिया स्थित एक और किसान ने भी इसी तरह की चिंता जताई। उन्होंने फसल चोरी और जंगली जानवरों के हमलों के खतरे पर ध्यान दिया, जिससे उन्हें वित्तीय नुकसान हो रहा है।
कम कीमतों पर फसल की बिक्री:
पहले, जरूरी भंडारण सुविधाओं की कमी होने के कारण किसानों को कटाई के तुरंत बाद अपनी फसल बेचनी की जरुरत पड़ती थी। इस कारन फसल अक्सर बहुत कम कीमतों पर बेचनी पड़ती है, जिससे काफी नुकसान होता था। हालांकि, इस योजना से किसानों को बहुत जरूरी राहत मिली है, जिससे उन्हें अपनी फसल को सुरक्षित रूप से स्टोर करने और सही समय पर बेचने की अनुमति मिली है। किसानोंने कहा कि इस योजना ने उन्हें राहत और मानसिक प्रदान की है।
22 फीसदी अनाज बर्बाद:
भारत में वार्षिक रूप से लगभग 22 प्रतिशत खाद्यान्न की बर्बादी होती है, और इसे देखते हुए यह योजना और भी अधिक महत्वपूर्ण होती है। अपने खुद के भंडारण की सुविधा के साथ, किसानों को अब बाजार में कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता है। इसके बजाय, वे अनुकूल बाजार स्थितियों का इंतजार कर सकते हैं। इससे बर्बादी कम होगी और मुनाफा अधिक होगा
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