पत्तल की मांग में वृद्धि को देखती हुई, उत्तर प्रदेश सरकार (यूपी सरकार) पत्तल की खेती को बढ़ाने के लिए कठिनाईयों को लिए काम कर रही है।
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पत्ती की खेती: जब पत्ती की मांग बढ़ती है, तो उत्तर प्रदेश सरकार (यूपी सरकार) खेती को बढ़ाने के लिए काम कर रही है। सरकार ने किसानों को (special scheme) पत्ते की खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी देने का निर्णय लिया है, ताकि किसान इस क्षेत्र में अधिक लगाव दिखा सकें। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को 75000 रुपये तक की सब्सिडी प्रदान की जा रही है। इस पूरे प्लान के बारे में और अधिक जानने के लिए, आइए इसे विस्तार से समझें।
किसानों को पत्ती की खेती के लिए की जाएगी तकनीकी सहायता प्रदान:
उत्तर प्रदेश सरकार की योजना के तहत, केवल देशी, बंगला, कलकतिया, कपूरी, रामटेक, मंगही, बनारसी आदि पत्तों की उन्नतशील किस्मों की खेती पर ही सहायता प्रदान की जाएगी। इसका मतलब है कि अगर कोई किसान इन किस्मों की खेती करेगा, तो उसे इस योजना का लाभ होगा।इस कार्यक्रम की सफलता के लिए, किसानों को पत्ती की खेती की तकनीकी जानकारी का प्रशिक्षण देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। किसानों को तकनीकी सहायता भी प्रदान की जाएगी, और चयनित जिलों में चयनित लाभार्थियों को संभागीय अनुसंधान केंद्रों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें पैन रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन भी शामिल होगा ।
कैसे होगा अनुदान राशि का भुगतान?
सब्सिडी (special scheme) की पूरी राशि सीधे किसानों के बैंक खाते में जमा की जाएगी। इस संबंध में लाभार्थी किसानों से एक समझौते पर हस्ताक्षर करना होगा, जिसमें यह शर्त होगी कि यदि सब्सिडी राशि का उपयोग सुपारी की खेती के लिए नहीं किया जाता है, तो सब्सिडी राशि वापस कर दी जाएगी। अगर लाभार्थी मानक के अनुरूप कार्य नहीं करता है, तो संबंधित जिले के जिलाधिकारी की अनुमति से वसूली की जाएगी।
किसानों को पत्ती की खेती के लिए तकनीकी सहायता दी जायेगी उत्तर प्रदेश सरकार की योजना के तहत केवल देशी, बंगला, कलकतिया, कपूरी, रामटेक, मंगही, बनारसी आदि पत्तियों की उन्नतशील किस्मों की खेती पर ही अनुदान दिया जाएगा। यानी अगर कोई किसान इन किस्मों की खेती करता है, तो उसे इस योजना का लाभ मिलेगा। 1500 वर्ग मीटर में पत्ता लगाने की लागत 1,51,360.00 रुपये प्रति बैरेजा है। सरकार किसानों को 50 प्रतिशत राशि देगी, यानी सरकार किसानों को 75,680.00 रुपये का भुगतान करने जा रही है। शेष राशि का भुगतान किसानों को स्वयं करना होगा। भारत में पत्तों की खेती काफी समय से की जाती रही है। इसके अलावा, पूजा में भी पत्तों का उपयोग होता है। इन पत्तों में कई औषधीय गुण भी होते हैं।इस प्रोग्राम को सफल बनाने के लिए किसानों को पत्ती की खेती के तकनीकी ज्ञान का प्रशिक्षण प्रदान करना बहुत आवश्यक है। किसानों को तकनीकी सहायता भी मिलेगी ताकि वे इस क्षेत्र में माहिर हो सकें। चयनित जिलों में चयनित लाभार्थियों को स्थानीय अनुसंधान केंद्रों में प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। इसमें पैन रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन होगा। इस तकनीकी प्रशिक्षण से किसान नई और सुधारित तकनीकों का सही ढंग से उपयोग करना सीखेगा, जिससे उनकी खेती में वृद्धि होगी और उनकी आय में सुधार होगी।
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