सरकार का नया फैसला खेती ट्रैक्टर के लिए जरूरी होगा ‘वाटरप्रूफिंग टेस्ट’! जानें नए नियम ।
यह नया नियम खेती वाले ट्रैक्टर के लिए है और मुख्य आवश्यक भी है। यह स्टैंडर्ड के इस ट्रैक्टर अंतरराष्ट्रीय एवं देशी दोनों स्थानों पर BIS यानी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स द्वारा तैयार किया गया है। इस टेस्ट से पता चलेगा कि भारत के ट्रैक्टर जल के ऊपर बने दूसरे नाम है कि लेक्नवा में तैयार हैं या फिर अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड से बने जो जिन्दा रहते हैं। इस पर टेस्ट होने वालेवाघि का ट्रैक्टर्स के पार्ट्स या सिस्टम करवाने से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उनकी डी राईफल क्योनदगी या पार्ट्स या हॉ शूटिंग लीज पानी से भरे किसान के डी राईफल्स या हॉ के क्षेत्र में ट्रैक्टर का बेस्ट ले आया जाए। इसलिए यह टेस्ट भी महत्वपूर्ण है और भारतीय ट्रैक्टर के बाजार को तेजी से आगे मोड़ने वाला है।
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धान के खेतों में ट्रैक्टरों की परफॉर्मेंस के लिए वाटरप्रूफिंग टेस्ट जरूरी
इसलिए, अब खेतों में जो ट्रैक्टर होगा, उसके लिए वाटरप्रूफिंग टेस्ट करवाना जरूरी होगा। वैसे तो खरीफ सीजन में धान की बुवाई चल रही है, और इसमें पानी से भरे गए खेतों में ट्रैक्टर से खेत की जुताई की जाती है, और उसके बाद पानी भरकर वहां पर लेव लगाया जाता है, जिसे अंग्रेजी में puddling कहते हैं। ईव लगाते वक्त ट्रैक्टर के पार्ट्स में पानी चला जाता है और पुलता की वजह से उसके डैमेज होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। इस संभावना को देखते हुए सरकार अब ट्रैक्टर का प्रूफिंग टेस्ट करवानेभेजने का आदेश दे रही है।
खेतों में ट्रैक्टरों की परफॉर्मेंस के लिए वाटरप्रूफिंग टेस्ट जरूरी
एक MINT में छपी रिपोर्ट में दावा किया गया कि ट्रैक्टर की क्षमता को जांचने के लिए टेस्ट कराया जा रहा है, यह सिद्ध करने के लिए कि ट्रैक्टर केवल सही किस्म के खेत में ही नहीं बल्कि पानी से भरे मिट्टी में कितनी दक्षता के साथ काम करता है। ट्रैक्टर पानी में भी बिना किसी पार्ट्स को खतरे में डाले सही तरीके से चल सकता है। यहाँ पर ट्रैक्टर निचोड़ काम में दूसरी बिस्यों के लिए पार्ट्स खराबी से सही ढंग से चलाने की क्षमता: कोई ऐसी सामग्री खास नहीं काम करनी चाहिए, जिससे नहीं पार्ट्स को खतरे में डालाजासके। चावल की बुवाई करनेवाली होनी चाहिए, मिले जाने वाले रिजल्ट के आधार पर गुऱीद्धानों को सुधारने और समर्थन करने के लिए इसकी उरादनें की भावनापुष्टि।
BIS ने बनाया नया नियम वाटरप्रूफिंग टेस्ट अनिवार्य
ट्रैक्टर के इस नए नियम को BIS यानी भारतीय मानक ब्यूरो ने तैयार किया है। इस प्रोफेशन के माध्यम से पता चलेगा कि भारत के ट्रैक्टर अंतरराष्ट्रीय मानक पर कितने अधिक फिट हैं। प्रोफ रिजल्ट के आधार पर प्रोफेशन के उपहित और उसके प्रणालियों में सुधार किए जाएंगे ताकि किसान कमरे भर धान के खेत में भी अपने ट्रैक्टर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन मिले। इसलिए यह प्रोफ भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत की ट्रैक्टर मार्केट इस बार बढ़ रही है।
2027 तक 10.6 अरब डॉलर होगा ट्रैक्टर बाजार
एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रैक्टर का बाजार अभी तक 6 अरब डॉलर का है, जो 2027 तक 10.6 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। वहीं, बीते साल घरेलू ट्रैक्टर उद्योग को कम ट्रैक्टर बिक्री का सामना करना पड़ा। 8 प्रतिशत कम बिक्री के साथ 8.7 लाख ट्रैक्टरों की ही बिक्री हो पाई। खराब मौसम और कम बारिश नहीं होने की वजह से यह व्यापार कम हो रहा है। इस वजह से फसल के लिए कैटिंग और बुवाई में देरी हुई है, इस वजह से वाटरप्रूफिंग टेस्ट कराने करना पड़ रहा है।
ICAR निदेशक परीक्षण
ICAR निदेशक सी.आर. मेहता ने कहा, “ट्रैक्टरों के लिए वॉटरप्रूफिंग टेस्ट में ट्रैक्टर के उपकरणों पर पानी का क्या जाता है, जैसे एक्सल हाउसिंग में पानी घुसाता है या नहीं, उसे जांचता है। ट्रैक्टर को एक निर्धारित स्तर पर एकत्र पानी में घंटों तक चलाया जाता है, और फिर उस रिसेटिंग के लिए परीक्षण किया जाता है।”मेहता ने जोड़ते हुए कहा, “यह टेस्ट बताता है कि ट्रैक्टर धान के खेतों में पानी उपकृत है। अगर धान के खेत बीमार होते हैं, तो उकास उनमें भी जा सकती है। ट्रैक्टर वास्तव में कितना उपयोगी है, इसे यह टेस्ट बताता है।”
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