गुणवत्तापूर्ण बीजों से कृषि उत्पादन में 20% वृद्धि होगी
केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में 13वें राष्ट्रीय बीज सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने खेती को भारत और दुनिया के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए इसे अर्थव्यवस्था की रीढ़ और किसानों को उसकी आत्मा बताया। उन्होंने टिकाऊ खेती और कृषि उत्पादन बढ़ाने में अच्छे बीजों के महत्व को रेखांकित किया।
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भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़: कृषि
अपने संबोधन में मंत्री चौहान ने भारत की आजीविका और अर्थव्यवस्था में कृषि की अहम भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “भारत जैसे देश में, बड़ी आबादी अपनी आजीविका और रोजगार के लिए खेती पर निर्भर है। उचित मूल्य सुनिश्चित करना, उत्पादन लागत कम करना और कृषि को विविध बनाना हमारी प्रमुख प्राथमिकताएं हैं।”
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प्राकृतिक कृषि मिशन का शुभारंभ
उन्होंने घोषणा की कि केंद्रीय कैबिनेट ने हाल ही में प्राकृतिक कृषि मिशन को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के दुष्प्रभाव को कम करना है। उन्होंने कहा, “रसायनों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी, मानव स्वास्थ्य और जीव-जंतुओं के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।” उन्होंने प्राकृतिक और टिकाऊ खेती की ओर बदलाव पर जोर दिया।
खेती की जान: बीज
चौहान ने कहा कि गुणवत्ता वाले बीज कृषि उत्पादन बढ़ाने, वैश्विक खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने बताया कि आईसीएआर ने हाल ही में 109 जलवायु-अनुकूल बीज किस्में विकसित की हैं, जिन्हें कम पानी की आवश्यकता होती है और ये तेजी से उपज देती हैं। उन्होंने कहा, “अच्छे बीजों से उत्पादन में 20% तक की वृद्धि हो सकती है। इन बीजों को समय पर और सस्ती दरों पर उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है।”
बीज उपलब्धता की चुनौतियां
चौहान ने कपास जैसे बीजों की बढ़ती लागत पर चिंता व्यक्त की, जो छोटे किसानों की पहुंच से बाहर हो रही है। उन्होंने समय पर और उचित मूल्य पर बीज उपलब्ध कराने के लिए मजबूत रोडमैप की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हमें प्रयोगशाला अनुसंधान और खेतों के बीच की खाई को पाटना होगा ताकि विज्ञान का लाभ सीधे कृषि को मिल सके।”
खराब गुणवत्ता वाले बीजों पर सख्त रुख
मंत्री ने घटिया बीजों की बिक्री को अपराध करार दिया। उन्होंने कहा, “खराब गुणवत्ता वाले बीज न केवल किसानों की आजीविका को खतरे में डालते हैं बल्कि कृषि उत्पादन को भी प्रभावित करते हैं।” चौहान ने सम्मेलन से पिछली बैठकों की प्रगति का मूल्यांकन करने और उच्च गुणवत्ता वाले बीज सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने का आह्वान किया।
पारंपरिक बीज किस्मों का संरक्षण
भारत की समृद्ध कृषि विरासत पर भी चर्चा की गई। चौहान ने कहा, “भारत पारंपरिक चावल की 3,000 से अधिक किस्मों का घर है। इन स्वदेशी बीज किस्मों को संरक्षित और बढ़ावा देना आवश्यक है।” उन्होंने पारंपरिक और आधुनिक प्रथाओं के समावेशी प्रयासों की वकालत की।
बीज सम्मेलन के लिए भविष्य का खाका
चौहान ने प्रस्ताव दिया कि 13वें राष्ट्रीय बीज सम्मेलन को अगले सत्र में एक व्यापक कार्य योजना पेश करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “प्रगति और ठोस परिणामों पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए ताकि 14वें सम्मेलन में नवाचार और जवाबदेही को बढ़ावा दिया जा सके।”
टिकाऊ खेती पर जोर
राष्ट्रीय बीज सम्मेलन नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों और किसानों को टिकाऊ कृषि के लिए रणनीतियों पर सहयोग करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। मंत्री के संबोधन ने बीज गुणवत्ता में सुधार, पर्यावरण के अनुकूल खेती को बढ़ावा देने और किसानों को नवाचारों के साथ समर्थन देने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
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