पंजाब कृषि अधिनियम मे किसानों को जेल भेजा जा सकता है

पंजाब कृषि अधिनियम मे किसानों को जेल भेजा जा सकता है

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राज्य सभा में, केंद्रीय कृषि मंत्री नए फार्म कानूनों की रक्षा पर एक मजबूत बिंदु रखते हैं। मंत्री ने विपक्ष से कहा कि वह सुधारों में “क्या काला है” बताये और साथ ही उन्होंने सरकार द्वारा कानूनों में संशोधन के प्रस्ताव को दोहराया। वह विपक्ष के इस आरोप की उपेक्षा करते हैं कि कानून किसानों की जमीनों पर कॉरपोरेटों को शक्ति देंगे।

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उन्होंने आगे कहा कि विपक्षी सदस्य और किसान यूनियन तीनों कानूनों में किसी मुद्दे पर कोई कमी नहीं कर सकते। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार मंडियों के बाहर अपने उत्पादों को बेचने की पेशकश करती है पर राज्य सरकार के अधिसूचित बाजार स्थानों के विपरीत, ऐसी बिक्री किसी भी कर को आकर्षित नहीं करेगी।

नए प्रावधान को इस कानून के तहत जोड़ा गया है कि, APMC के बाहर के क्षेत्र को व्यापार क्षेत्र कहा जाएगा, यह किसान का घर, खेत या कुछ भी हो सकता है।

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प्रावधान ट्रेडिंग सिस्टम में एपीएमसी के बाहर कर की अनुमति नहीं देगा चाहे वह केंद्र हो या राज्य पर किसान को एपीएमसी के बाहर अपनी उपज बेचने की अनुमति देता है।

बजट सत्र में उन्होंने लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त बैठक को संबोधित करने पर राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया और यह भी कहा कि, “अब एपीएमसी में, राज्य कर का प्रावधान है। एपीएमसी के बाहर, कोई कर नहीं है, सेंट्रे का अधिनियम कर को समाप्त करता है। मैं किसानों, विशेष रूप से पंजाब के किसानों से पूछना चाहता हूं ।

आंदोलन कर के खिलाफ होना चाहिए था। मंडियों में की गई बिक्री पर (राज्य सरकार द्वारा) लगाया गया, लेकिन अजीब तरह से विरोध प्रदर्शनों को करों से मुक्त करने के खिलाफ हैं।’’

उन्होंने पंजाब सरकार और भारत सरकार के बीच अलग से किसान कानूनों के नियमों और प्रावधानों को भी बताया। वो कहते हैं कि पंजाब सरकार के अनुबंध कृषि अधिनियम में किसानों को सलाखों के पीछे भेजा जा सकता है और ५ लाच रूपए के जुर्माने की भी बात कही।

जबकि भारत सरकार के अधिनियम में, एक किसान किसी भी समय अनुबंध से बाहर निकल सकता है।

सरकार किसानों के कल्याण के लिए सोच रही है और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) आधारित तंत्र पर फसलों की खरीद की मंडी प्रणाली जारी रखने के लिए अटल है ।

दो महीने से अधिक समय से किसान तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर विरोध कर रहे हैं । यह विरोध हज़ार से ज्यादा किसान पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं ।

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