गांवों में किसान खेती के साथ पशुपालन कर अपनी आय बढ़ा रहे हैं, खासकर गाय और भैंस पालकर उनके दूध से अच्छा पैसा कमा रहे हैं। अब शहरी क्षेत्रों में भी इस लाभ को देखते हुए दुधारू पशुओं का पालन बढ़ रहा है, लेकिन उनकी उचित देखभाल नहीं हो रही है। यही कारण है कि शहरों में गायें सड़कों पर खुली घूमती नजर आती हैं और कई बार दुर्घटनाओं का शिकार हो जाती हैं। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार ने शहरी क्षेत्रों में गाय-भैंस जैसे दुधारू पशुओं के पालन के लिए लाइसेंस अनिवार्य कर दिया है। जो भी पशुपालक बिना लाइसेंस के दुधारू पशु पालेंगे, उन पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
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इस योजना की शुरुआत उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर से की जा रही है। अब गोरखपुर में गाय-भैंस पालने के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा, और प्रत्येक पशु के लिए सालाना शुल्क जमा करना होगा। नगर निगम ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है और यह व्यवस्था जल्द ही पूरे शहर में लागू की जाएगी। पशुपालकों को लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदन करना होगा।
नियम कब से होगा लागू?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नगर निगम की 5वीं बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल चुकी है। जनवरी में नगर निगम ने शासन को प्रयागराज से गजट नोटिफिकेशन के लिए प्रस्ताव भेजा था। हालांकि, अभी तक गजट नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है, लेकिन नगर निगम को उम्मीद है कि यह जल्द ही जारी हो जाएगा। इसके बाद यह नियम पूरे शहर में लागू कर दिया जाएगा।
नियम के तहत लाइसेंस के लिए कितनी होगी फीस?
नियमों के अनुसार, दो या दो से अधिक गाय या भैंस पालने वाले पशुपालकों को लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। यह लाइसेंस एक साल के लिए जारी किया जाएगा, जिसकी अवधि एक अप्रैल से 31 मार्च तक होगी। हर साल, प्रत्येक पशु के लिए नगर निगम को शुल्क जमा करना होगा। इसमें गाय के लिए 500 रुपए और भैंस के लिए 1000 रुपए का लाइसेंस शुल्क निर्धारित किया गया है।
लाइसेंस को हर साल करवाना होगा रिन्यू:
पशुओं के लिए लाइसेंस एक साल की अवधि के लिए जारी किया जाएगा, जिसे पशुपालकों को हर साल रिन्यू कराना होगा। वहीं, अवैध रूप से चल रही डेयरियों पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। लाइसेंस प्राप्त करने के लिए पशुपालकों को सुनिश्चित करना होगा कि पशुओं को साफ-सुथरी जगह पर रखा जाए और उनके चारे-पानी की उचित व्यवस्था हो। निगम के अधिकारी निरीक्षण के बाद ही लाइसेंस जारी करेंगे।
लाइसेंस जारी करने से पहले क्या-क्या जांचा जाएगा?
लाइसेंस जारी करने से पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि पशुपालक दुधारू पशुओं की उचित देखभाल कर रहा है। प्रत्येक पशु के लिए 8 वर्ग मीटर हवादार स्थान होना चाहिए, जहां वह रह सके। सर्दी, गर्मी, धूप और बारिश से बचाने के लिए शेड की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अलावा, उचित पशु आहार की व्यवस्था और गोबर व अन्य अपशिष्ट को पशु स्थल से सात मीटर दूर रखना अनिवार्य है। डेयरी का फर्श भी पक्का होना चाहिए।
लाइसेंस न बनवाने पर कितना जुर्माना लगाया जा सकता है?
अगर कोई पशुपालक अप्रैल माह में लाइसेंस नहीं लेता है, तो उसे लाइसेंस शुल्क के अलावा पहले महीने के लिए 100 रुपए की पेनल्टी देना होगा। इसके बाद, हर महीने 50 रुपए विलंब शुल्क चुकाना होगा। नियमों का पालन न करने पर पहली बार अवैध डेयरी संचालक पर 1000 रुपए का जुर्माना और दूसरी बार 2000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। शहर में अवैध रूप से संचालित डेयरी पर अधिकतम 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है।
लाइसेंस बनवाने पर मिलेगा प्रमाणपत्र
नगर निगम द्वारा लाइसेंस प्राप्त करने के बाद पशुपालक को एक टोकन दिया जाएगा। इस टोकन को पशु की गर्दन पर इस प्रकार बांधना होगा कि वह साफ-साफ दिखाई दे। यह टोकन पशु के मालिक की पहचान के लिए होगा, जिससे यदि पशु सार्वजनिक स्थानों, गलियों, सड़कों या पार्कों के आसपास पाया जाए, तो पशुपालक के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी। यदि पशुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा रहा है, तो इसके लिए निगम से ट्रांसपोर्टेशन की अनुमति प्राप्त करनी होगी।
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