सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार, जम्मू कश्मीर को देश के बासमती अनुसंधान केंद्र के लिए चुना गया है। जम्मू कश्मीर जिले के आरएस पुरा के चकरोई में भूमि को चयनित किया गया है। आकड़ों के अनुसार इस अनुसंधान केंद्र को बनाने में रूपए १० करोड़ का खर्चा होगा।
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अनुसंधान केंद्र बनाने के बाद आरएस पुरा की बासमती चावल को प्रसिद्द पहचान मिलेगी। इसके अलावा बासमती से नयी किस्मों से बनने वाले अन्य उत्पादों पर भी कई प्रयोग किए जाएंगे। इससे चावल की सुगंध और स्वाद को बढ़ावा तथा पसंद किया जाएगा।
इस केंद्र को तैयार करने के लिए जम्मू कश्मीर स्तिथ शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं तकनीकी विश्वविद्यालय योगदान करेगा। इस केंद्र को बनाने के लिए प्रदेश सर्कार ने मंजूरी दे दी है।
सरकार के पास इसके एजेंडा को तैयार करने के लिए खत भेजा गया है। १० हजार किसानों को इस केंद्र से महत्वपूर्ण बासमती उगाने वाले खेती और किसानी करने वालों को जोड़ा जाएगा। यहां से वह बासमती की अनेक किस्म का बीज और जानकारी ले सकेंगे। उन्हें बासमती की नई किस्म की फसल उगाने के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी तौर पर प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
क्या होगा सेंटर में ख़ास
- नयी किस्म की बासमती पर परीक्षण किया जाएगा।
- बासमती के स्थानीय फसल और विकास पर शोध होगा।
- प्रदेश के अन्य जिलों के कृषकों को बीज उत्पादन से जोड़ा जाएगा।
- किसानों को ट्रेनिंग के लिए अलग से सेंटर बनाया जाएगा।
- नई से नई तकनीक के बारे में जानकारी उपलब्ध होगी।
यह भी निश्चित किया है कि, एक केंद्र में एक ही जीन बैंक बनेगा जिसमें देश भर में अनेक प्रकार की बासमती का जीन तैयार किया जाएगा, बीज भी तैयार होगा।
देश विदेश में बेचने का प्लेटफार्म
केंद्र में एक मार्केटिंग लिंक प्लेटफार्म होगा। इसके माध्यम से किसानों को देश और विदेश में बासमती बेचने के लिए प्लेटफार्म उपलब्ध कराया जाएगा।
बासमती को ६० हजार हेक्टेयर पर उगाया जा सकता है
प्रदेश में जम्मू, कठुआ और सांबा जिलों में ६० हजार हेक्टेेयर पर बासमती की फसल लगाई जाती है। हर साल इससे १८ लाख क्विंटल की पैदावार होती है। बासमती की ३७०, रणबीर, जम्मू-११८ , १२३ आदि की किस्में उगाई जाती हैं।
जमीन मिलते ही, प्रोजेक्ट को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा
बासमती पर शोध करने वाला देश का यह पहला अनुसंधान केंद्र होगा। इसके लिए प्रदेश सरकार ने जमीन देने की मंजूरी दे दी है। १० करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट तैयार कर सरकार को दे दिया जाएगा। यह सेंटर देश-विदेश में प्रसिद्ध आरएस पुरा क्षेत्र की बासमती को नई पहचान देगा।
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