रबी फसलों की बुवाई के बीच डीएपी खाद की बढ़ी मांग, सरकार ने लागू की नई व्यवस्था
रबी फसलों की बुवाई का समय चल रहा है, और किसान गेहूं, सरसों और चने जैसी फसलों की बेहतर उपज के लिए डीएपी खाद खरीदने में जुटे हैं। इस समय डीएपी की मांग काफी बढ़ गई है, जिससे सहकारी समितियों और सरकारी खाद वितरण केंद्रों पर किसानों को लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ रहा है। इसके अलावा, कुछ स्थानों पर डीएपी की कालाबाजारी और अनावश्यक भंडारण की घटनाएं भी सामने आई हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार ने खाद वितरण प्रणाली में बदलाव किया है। अब किसानों को डीएपी खाद खरीदने के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।
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खाद खरीदने के लिए आवश्यक दस्तावेज:
सरकार ने खाद वितरण को पारदर्शी और आसान बनाने के लिए तीन दस्तावेज अनिवार्य कर दिए हैं:
खतौनी या जमीन का प्रमाण: किसानों को अपनी खेती की जमीन का साक्ष्य प्रस्तुत करना होगा।
आधार कार्ड: पहचान के लिए आधार कार्ड जरुरी होगा।
मोबाइल नंबर: किसानों को संपर्क के लिए अपना वैध मोबाइल नंबर देना होगा।
डीएपी खाद खरीदने के लिए जरूरी दस्तावेज: बिना इन दस्तावेजों के नहीं मिल सकता है खाद ।
नई व्यवस्था की आवश्यकता क्यों पड़ी?
डीएपी खाद की कालाबाजारी और जरूरत से ज्यादा भंडारण को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। इसके अलावा, किसानों को उनकी जमीन के क्षेत्रफल के आधार पर खाद की मात्रा तय कर दी जाएगी। यह सुनिश्चित करेगा कि हर किसान को उनकी आवश्यकता के अनुसार खाद मिल सके और कोई भी किसान वंचित न रहे।
सहकारी समितियों में डीएपी की कीमत:
सरकार किसानों को डीएपी खाद रियायती दरों पर उपलब्ध करा रही है। सहकारी समितियों और सरकारी केंद्रों पर इसकी कीमत 1350 रुपये प्रति बोरी तय की गई है। हालांकि, खुले बाजार में डीएपी की कीमत 1600 से 2100 रुपये तक देखी जा रही है। कालाबाजारी और ऊंची कीमतों पर बिक्री को रोकने के लिए सरकार ने सख्त निगरानी के निर्देश दिए हैं।
सरकार के इस कदम से खाद वितरण प्रणाली में सुधार आएगा और सभी किसानों को उनकी जरूरत के अनुसार खाद मिल सकेगी।
खाद आपूर्ति में सुधार: किसानों के लिए राहत भरी खबर
उत्तर प्रदेश में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में डीएपी खाद की आपूर्ति की स्थिति की समीक्षा की गई। नवंबर 2024 तक राज्य में विभिन्न कंपनियों द्वारा निम्नलिखित अनुपात में खाद की आपूर्ति की गई:
एनएफएल: 117%
इफको: 90%
हिंडाल्को: 124%
इसके अलावा, अन्य कंपनियों ने भी अपने आवंटित लक्ष्य के अनुसार खाद की आपूर्ति सुनिश्चित की है। बैठक में बताया गया कि अब तक 127 फास्फेटिक रैक भेजे जा चुके हैं, जिनमें से 86 रैक राज्य में पहुंच चुके हैं। शेष रैक जल्द ही पहुंचने की संभावना है।
कालाबाजारी पर सख्त निर्देश:
कृषि मंत्री ने खाद वितरण प्रक्रिया को सुचारू बनाने और कालाबाजारी रोकने के लिए कड़े निर्देश दिए हैं। उन्होंने विक्रेताओं को चेतावनी दी है कि खाद की बिक्री निर्धारित अधिकतम मूल्य से अधिक पर न की जाए। किसी भी प्रकार की कालाबाजारी, जमाखोरी, या अनियमितता पाए जाने पर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें विक्रेता का लाइसेंस रद्द करना और एफआईआर दर्ज करना शामिल है।
किसानों के लिए राहत:
सरकार का उद्देश्य है कि सभी किसानों को समय पर और उचित दरों पर खाद उपलब्ध हो। इसके लिए वितरण केंद्रों पर अधिकारियों और कर्मचारियों को तैनात किया गया है ताकि कोई भी किसान बिना खाद के न लौटे। किसानों को सलाह दी गई है कि वे खाद खरीदने से पहले अपने सभी दस्तावेज जैसे खतौनी, आधार कार्ड और मोबाइल नंबर तैयार रखें।
नई व्यवस्था के लाभ:
डीएपी खाद की बढ़ती मांग और कालाबाजारी की समस्या को ध्यान में रखते हुए सरकार का यह कदम सराहनीय है। नई व्यवस्था से खाद वितरण में पारदर्शिता बढ़ेगी, और किसानों को समय पर खाद मिलने में सुविधा होगी।
किसानों से अपील की गई है कि वे सरकार के नियमों का पालन करें और आवश्यक दस्तावेजों के साथ खाद केंद्रों पर जाएं। यह सुनिश्चित करेगा कि उन्हें खाद खरीदने में किसी प्रकार की परेशानी न हो।
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