किसानो को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से सरकार ने इस साल के केंद्रीय बजट में कृषि को हाइटेक बनाने का फैसला किया है। यह भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का एक उच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र है।
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सरकार ने पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर इसे नए तरीके से विक्सित करने का प्रावधान किया है। ग्रामीण आवास से लेकर रासायनिक मुक्त कृषि तक ,गंगा के किनारे पांच किलोमीटर चौड़ा गलियारा और केन-बेतवा लिंक परियोजना के माध्यम से बुंदेलखंड में सिंचाई के लिए पानी , यह सब सुनिश्चित करता है की बजट हर भारतीय की जरूरतों को पूरा करे। किसानो को डिजिटल और हाईटेक सेवाएं देने के लिए एक नै सार्वजनिक निजी भागीदारी योजना शुरू की है।
“किसान ड्रोन” का उपयोग फसल मूल्यांकन , भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण और किटकनाशक और पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए किया जाएगा।
बजट में घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए व्यापक योजना लागु करने की घोषणा की गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “तिलहन आयत पर हमारी निर्भरता को कम करने के लिए तिलहन के घरेलु उत्पादन को बढ़ाने के लक्ष्य के साथ एक समझदार और व्यापक योजना अपनाइ जाएगी।”
कृषि क्षेत्र के लिए , यह एक संतुलित बजट है जो बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने , प्रोत्साहन और तकनिकी प्रोत्साहन के साथ कृषि और किसानो को मजबूत करने पर केंद्रित है। किसान और गाव केवल अपनी आय में सुधार कर सकेंगे , बल्कि वे आत्मनिर्भर भी बन सकेंगे।
सरकार द्वारा वर्ष २०२३ को बाजरा वर्ष के रूप में नामित किया गया है। इसका उद्देश्य बदलती जलवायु परिस्थितियों में मोठे अनाज के पोषण और खेती के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। २.३७ लाख करोड़ रूपये का न्यूनतम समर्थन मूल्य सीधे किसानो के खातों में भुगतान किया जाएगा। सरकारी खरीद पहली बार बजट प्रस्ताव में शामिल एमएसपी के बारे में गलत सूचना का प्रसार करने वालो के लिए सर्कार का दृश्टिकोण एक उपयुक्त मुहतोड़ जवाब है।
पहले चरण में गंगा के किनारे ५ किमी चौड़े गलियारों में किसानो की भूमि पर ध्यान केंद्रित करते हुए पुरे देश में रासायनिक मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। सरकारी समितियों के लिए वैकल्पित न्यूनतम कर भुगतान को १८.५ प्रतिशत से घटाकर १५ प्रतिशत कर दिया गया है।
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