ग्रीष्मकालीन फसल की खेती का क्षेत्र पिछले वर्ष से 21.58 प्रतिशत बढ़कर 80.02 लाख हेक्टेयर हो गया है। यह वृद्धि मुख्य रूप से दालों के क्षेत्र में हुयी तेज वृद्धि के कारण हुई है, जो पिछले साल से लगभग 70 प्रतिशत बढ़ गई है, जिससे किसानों को अच्छी फसल और अतिरिक्त आय की उम्मीद है।
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मौसम विभाग ने यह भी तर्क़ लगाया है कि मानसून 1 जून की अपनी निर्धारित तिथि पर केरल में प्रवेश करेगा।
एक वरिष्ठ कृषि मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि दालों और तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है और हम सही रास्ते पर हैं। पिछले साल की तरह, कोविड -19 महामारी के दौरान कृषि लगातार बढ़ रही है।
पिछले साल के मुकाबले 10.49 लाख हेक्टेयर दालों का क्षेत्र बढ़कर 17.75 लाख हेक्टेयर हो गया है।मुख्य फसल चावल में भी 15.52% की वृद्धि देखी गई है। इसी तरह तिलहन क्षेत्र में भी वृद्धि हुई है, जिसमें 12.05 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
उन्होंने यह भी कहा की, ‘इस साल चावल का उत्पादन बढ़ने की संभावना है क्योंकि इस साल यह क्षेत्र 34.13 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 39.43 लाख हेक्टेयर हो गया है। इस दौरान मोटे अनाज का रकबा जो पिछले साल इस अवधि में यह 11.62 लाख हेक्टेयर था बढ़कर 12.11 लाख हेक्टेयर हो गया ।
ग्रीष्मकालीन बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है। जो की न केवल अतिरिक्त आय प्रदान करता है बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा करता है। ग्रीष्मकालीन फसलों की खेती से एक प्रमुख लाभ मिट्टी की सेहत में सुधार है, विशेष रूप से दालों की फसल के माध्यम से।
उन्होंने कहा कि सरकार को मौसम विभाग की सामान्य मानसून की भविष्यवाणी के आधार पर खरीफ सीजन बैंकिंग में बंपर उत्पादन की उम्मीद है।
हमारे देश के 130 प्रमुख जलाशयों में जल संग्रहण पिछले दस वर्षों के औसत संग्रहण से 19 प्रतिशत अधिक है।“इससे सिंचाई की उपलब्धता सुनिश्चित हुई है। विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में पानी की उपलब्धता के कारण अधिक क्षेत्र खेती के अधीन आ गए हैं।
सरकार ने पहले ही फसल वर्ष 2021-22 के लिए खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य 307.31 मिलियन टन रिकॉर्ड किया है। इसमें खरीफ (गर्मी) के मौसम में 151.43 मिलियन टन और रबी (सर्दियों) के मौसम में 155.88 मिलियन टन अनाज का उत्पादन शामिल है।
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