फिशरीज एक्सपर्ट्स के अनुसार, मछली पालन में उपयोग होने वाले ड्रोन की कीमत बाजार में पांच लाख रुपये से शुरू होती है। फीचर्स जैसे रडार, कैमरा और सेंसर के अनुसार, ड्रोन की कीमत बढ़ती जाती है।
मछली पालन को अब हाईटेक बनाने की योजना है, जिससे ताजी मछली बाजार तक पहुंचे और मछली पालकों की लागत कम होकर मुनाफा बढ़े। केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के एक कार्यक्रम में सेक्रेटरी अभिलक्ष लिखी ने बताया कि मंत्रालय टेक्नोलॉजी से जुड़ी संस्थाओं के साथ मिलकर इस पर काम कर रहा है। मरीन फिशरीज और तालाब में मछली पालन के लिए ड्रोन के उपयोग की तैयारी की जा रही है। खासतौर पर तटीय क्षेत्रों में मछली ट्रांसपोर्टेशन के लिए ड्रोन का उपयोग चर्चा में है। अब तालाबों में मछलियों को दाना खिलाना, पानी का तापमान मापना और उनकी सेहत पर नजर रखना, ये सभी काम एक क्लिक पर किए जा सकते हैं।
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फिश लैंडिंग सेंटरों पर अब किया जाएगाड्रोन का इस्तेमाल :
केंद्रीय मत्स्यपालन विभाग के ज्वाइंट सेक्रेटरी सागर मेहरा ने किसान तक को बताया कि मछली पालन में ड्रोन के इस्तेमाल की योजना पर काम चल रहा है। विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में फिश लैंडिंग सेंटरों पर ड्रोन का उपयोग किया जा सकता है। कोस्टल एरिया वाले राज्यों में एक से अधिक लैंडिंग सेंटर होते हैं, और कई बार मछलियों को एक सेंटर से दूसरे सेंटर पर पहुंचाना पड़ता है। बोट से 50-100 किलो मछली को भेजने में अधिक लागत और समय लगता है। ऐसे में ड्रोन की मदद से मछली को तेजी से एक सेंटर से दूसरे सेंटर तक पहुंचाया जा सकेगा।
ड्रोन से मछलियों को मिलेगा फीड और होगी बीमारी की पहचान:
फिशरीज एक्सपर्ट्स के अनुसार, ड्रोन में लगे कैमरे तालाब की तस्वीरें मोबाइल और लैपटॉप पर भेजते रहते हैं। जब ड्रोन तालाब के काफी नीचे आता है, तो उसमें मौजूद मछलियां भी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं। इससे मछलियों की प्रमुख बीमारी जैसे लाल धब्बे का पता समय पर चल जाता है, और मछलियों का तालाब में व्यवहार भी देखा जा सकता है। इसके बाद ड्रोन के माध्यम से मछलियों पर दवाई का छिड़काव भी किया जा सकता है, जिससे हाथ से छिड़काव के मुकाबले सभी मछलियों को दवा मिलती है।
फीड खिलाने के दौरान, ड्रोन तालाब के विभिन्न हिस्सों में जाकर दाना डालता है, जिससे सभी मछलियों को समान मात्रा में फीड मिलती है। यह सुनिश्चित करता है कि तालाब की ताकतवर मछलियां ही नहीं, बल्कि कमजोर मछलियां भी बराबर मात्रा में दाना खा सकें। इससे मछलियों का वजन समान रूप से बढ़ता है और मछली पालक को अधिक लाभ होता है।
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