सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार, हाल ही में भारतयी कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने सरसों, गेहूं, आलू और अन्य सब्जियों की खेती के लिए एडवाइजरी जारी की है। वैज्ञानिकों ने बताया कि, बदलते तापमान और मौसम की वजह से सब्जियों में विभिन्न प्रकार के रोग लगने की संभावनाएं होती है।
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ऐसी स्थिति में फसल बर्बाद होती है और किसानों को ढेरों समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके तहत किसानों को उनकी सब्जियों और फसलों के नुकसान से बचाने के लिए वैज्ञानिकों ने विभिन्न प्रकार की सलाह एवं सबसे ख़ास एडवाइजरी जारी की है।
आलू और टमाटर में झुलसा रोग का प्रभाव, कैसे करें उपाय
टमाटर और आलू में पड़ा रोग का प्रभाव, एडवाइजरी के माध्यम से किसान करें सही उपाय।
कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह में बताया कि, हवा में अधिक नमी पड़ने से टमाटर और आलू की फसलों में सबसे पहले झुलसा रोग लगने की संभावनाएं होती है। इसके लिए वैज्ञानिकों ने यह सलाह दी, जो किसान आलू और टमाटर की खेती कर रहे है उन्हें बचाव के लिए खेती में उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए ताकि, फसल में मिटटी सतह तक पहुँच सकें तहत आसानी से कार्य कर सके।
किसानों को फसल की नियमित रूप से निगरानी रखनी चाहिए। जैसे ही झुलसा रोग के लक्षण दिखाई देने लगते है, किसानों को कार्बंडिजम १.० ग्राम प्रति लीटर पानी या डाईथेन-एम-४५ को २.० ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर समय से स्प्रे करें।
गेहूं और सरसों की फसल में रोग के उपाय
वैज्ञानिकों ने सरसों के बारे में बताते हुए कहा कि, तापमान में नमी के कारण सरसों की फसल में ‘सफेद रतुआ रोग’ लगने की अत्यधिक संभावना रहती है, इस स्थिति किसानों को फसल की निगरानी रखनी चाहिए।
वैज्ञानिकों ने गेहूं की बुवाई का जिक्र करें हुए सरसो की फसलों पर भी जोर दिया की यदि फसल घनी है, तो खरपतवार और विरलीकरण होने की ज़्यादा सम्भावना है, ऐसे में किसानों को नियंत्रण बांये रखने का कार्य करना चाहिए। वे किसान जिनकी फूलगोभी, टमाटर, ब्रोकली, पत्ता गोभी जैसे फसलों की खेती है, उन्हें मौसम के अनुकूल पौधों की रोपाई आसानी से कर सकते हैं ।
गोभी की फसल में रोग के उपाय
वैज्ञानिकों ने गोभी की फसल के रोग के बारे में भी एडवाइजरी जारी की हैं, जिसमें ऐसे कीटनाशक पाए जाते हैं जो गोभीवर्गीय पत्तियों को खाते हैं, ऐसी स्थिति में किसानों को गोभी की फसल की निगरानी करते रहना चाहिए तथा स्पेनोसेड दवा १.० एमएल को ३ लीटर पानी में बीटी १.० ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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