कोंकण का अल्फांसो आम दुनिया भर में मशहूर है। यहां तक कि इंग्लैंड की महारानी को भी हापुस आम को चखने के बाद उससे प्यार हो गया। लेकिन यह हापुस वर्तमान में कई संकटों का सामना कर रहा है। लेट ब्लाइट, फिर थ्रिप्स और ब्लाइट का प्रकोप और अब हीट स्ट्रोक के कारण फलों का गिरना, कोंकण के आम किसानों को परेशान कर रहा है। इससे किसानों के सामने बड़ा आर्थिक संकट आने की आशंका है।
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हापुस आम संकटों की एक श्रृंखला का सामना कर रहा है।
लंबे समय तक बरसात के मौसम और ठंड के मौसम के देर से शुरू होने के कारण, हापुस में कुछ देरी हुई। उसके बाद भी इस मोहर पर थ्रिप्स एवं झुलसा रोग का प्रकोप बढ़ता गया। नतीजतन, बड़ी मात्रा में दवा का छिड़काव करना पड़ा। ऐसे में यहां के किसानों को उम्मीद थी कि हापुस कुछ हद तक उनकी मदद करेंगे। लेकिन अब माहौल में गर्मी बढ़ गई है और इसका असर अब हापुस पर भी पड़ने लगा है। क्योंकि इस समय करीब 75 फीसदी फल गिर रहे हैं। इससे कोंकण का किसान पूरी तरह बेबस हो गया है। ऐसे में इस बात की भी संभावना है कि वह किसी बड़े आर्थिक संकट में फंस जाए। इसलिए अब किसान मांग कर रहे हैं कि शोधकर्ता इस जलवायु परिवर्तन का अध्ययन करें और कम से कम इससे बचने का उपाय बताएं।
मई में होगी आम की किल्लत : आम उत्पादक किसान
हापुस आम जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहे हैं। बीमारी की वजह से अनावश्यक रूप से दवाओं का छिड़काव करना पड़ता है। मार्च में लोगों के पास आम थे, ज्यादा से ज्यादा 10 अप्रैल तक मिलेंगे। उसके बाद और मई के महीने में आम की किल्लत हो जाएगी। पिछली मुहर पर निर्भर करता है, लेकिन यह भी जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हुआ है। हापुस के किसान प्रदीप सावंत ने कहा कि शोधकर्ताओं को इस जलवायु परिवर्तन के आम पर पड़ने वाले प्रभावों पर शोध करना चाहिए और कम से कम इससे बचने का कोई उपाय सुझाना चाहिए।
धूप से झुलसने के कारण फल गिरना
फलों के राजा कोंकण का हापुस आम बदलते परिवेश से प्रभावित हो गया है। कोंकण में दिन के तापमान में वृद्धि के कारण आम पर लू का असर पड़ा है। ज्यादातर जगहों पर आमों पर धब्बे पड़ने से आम खराब होकर गिरने लगे हैं। धूप से झुलसे आमों के पास माली के पास उन्हें फेंकने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।
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