नवोन्मेषी खेती ने सपनों को साकार किया
अबोहर, पंजाब के प्रगतिशील किसान किन्नू जैन ने नवाचार और समर्पण के जरिए आधुनिक कृषि को नई परिभाषा दी है। छह साल पहले पारंपरिक खेती पर निर्भर रहने वाले किन्नू ने अब 8 एकड़ भूमि पर हर साल 1,200 क्विंटल कीनू की फसल पैदा करके एक मिसाल कायम की है। 20 एकड़ की खेती करने वाले किन्नू ने 8 एकड़ में कीनू की खेती शुरू की थी। बेहद कम आधुनिक ज्ञान से शुरुआत करने वाले किन्नू ने अपनी मेहनत और सीखने के जज्बे से खेती में सफलता के नए आयाम स्थापित किए हैं।
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किन्नू की खेती में निपुणता
किन्नू मिट्टी का pH स्तर 6.6 बनाए रखने और तापमान को 35 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने पर जोर देते हैं। वे अगस्त और सितंबर में कीनू के पौधों को लगाने की सलाह देते हैं, जिसमें गड्ढों को पहले से तैयार कर मिट्टी के कीड़ों और अतिरिक्त गर्मी को खत्म किया जाता है। उनके कुशल अंतराल तकनीक—20×20 फीट पारंपरिक बाग प्रबंधन के लिए और 20×10 फीट हाई-डेंसिटी खेती के लिए—से उत्पादन क्षमता को अधिकतम किया जाता है।
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जैविक और प्रभावी उर्वरकों को अपनाना
मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने और लागत घटाने के लिए किन्नू गाय के गोबर से बने खाद का इस्तेमाल करते हैं, जिसे Zydex के गोधान के जरिए 40-50 दिनों में तैयार किया जाता है। इसके अलावा, Zytonic-M से खाद की जरूरत को 1 टन प्रति एकड़ तक घटाया जाता है, जिससे फलों की गुणवत्ता और मिट्टी की उर्वरता में सुधार होता है।
आधुनिक उर्वरक और सिंचाई तकनीकें
किन्नू उर्वरकों के समान वितरण के लिए स्प्रिंकलिंग तकनीक का उपयोग करते हैं। सिंचाई के लिए वे बाढ़ विधि का पालन करते हैं, लेकिन जलभराव से बचते हैं ताकि फसल को कोई नुकसान न हो। पेड़ों की आयु बढ़ाने और फलों की गुणवत्ता बेहतर बनाने के लिए वे शुरुआती कटाई को चौथे वर्ष तक टालते हैं। छठे वर्ष में उनके पेड़ प्रति पेड़ 2-2.5 क्विंटल की उपज देने लगते हैं और उचित देखभाल के साथ 35-40 वर्षों तक उत्पादन करते हैं।
किन्नू मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए मिश्रित फसल पद्धति अपनाते हैं, जिसमें सरसों, मूंग और अन्य छोटी फसलों की खेती भी की जाती है। इससे मिट्टी का संरक्षण होता है और अतिरिक्त आय प्राप्त होती है।
कम लागत, अधिक मुनाफा
लगभग ₹40,000 प्रति एकड़ उत्पादन लागत के साथ, किन्नू की उन्नत तकनीकें प्रति एकड़ 150-170 क्विंटल की औसत उपज सुनिश्चित करती हैं। इससे उन्हें उच्च गुणवत्ता का उत्पादन और प्रीमियम मूल्य मिलता है, जिससे सालाना मुनाफा काफी बढ़ जाता है। फसल अवशेषों को वे रोटावेटर से हरा खाद में बदलकर मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करते हैं। फलों की मक्खियों जैसे कीटों से बचाव के लिए प्रभावी नियंत्रण तकनीकों का उपयोग कर वे उच्च उत्पादन सुनिश्चित करते हैं।
देशभर के किसानों के लिए प्रेरणा
पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक कृषि पद्धतियों के संयोजन से किन्नू जैन एक स्थायी और लाभदायक खेती के प्रतीक बन गए हैं। उनकी सफलता की कहानी किसानों को नवाचार अपनाने और उज्जवल भविष्य की ओर कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है।
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