प्याज की नई किस्म: किसानों के लिए नई प्याज की विकसित किस्म, जो साल भर तक नहीं होगी खराब
प्याज की नई किस्में: घर में प्याज का भंडारण करने वाले किसानों के लिए सुविधा की खबर है। अब प्याज किसानों को कोल्ड स्टोरेज पर किराए के रूप में मोटी रकम खर्च करने की जरूरत नहीं होगी। नई किस्मों को खेती किया जा सकता है, जो सालभर तक सड़ने और अंकुरित होने से बची रहती हैं। इससे किसानों को अधिक उत्पादन और मुनाफा हासिल करने का अवसर मिलता है। यह नई किस्म सालभर तक स्टोर की जा सकती है और अच्छी कीमत पर बाजार में बेची जा सकती है। प्याज को कोल्ड स्टोरेज में रखने के लिए अब किसानों को ज्यादा पैसे खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे उनका मुनाफा भी बढ़ेगा।
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प्याज की नई किस्म: एग्रीफाउंड लाइट रेड-3 और 4 प्रजातियाँ:
कृषि विज्ञान केंद्र (लेदौरा) आजमगढ़ के वैज्ञानिकों ने मौसम के अनुकूल प्याज की नई किस्म, एग्रीफाउंड लाइट रेड-3 और एग्रीफाउंड लाइट रेड-4, विकसित की है। इन किस्मों की पैदावार में बेहतरीन उत्पादकता है, साथ ही इनमें अंकुरण कम होगा और यह सालभर तक नहीं सड़ेगा। यानी इसका अवधि अधिक होगा। डॉ. एलसी वर्मा, विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक, बताते हैं कि इन प्रजातियों का रंग हल्का लाल होता है और स्वाद में हल्का तीखापन होता है। इन प्रजातियों के प्याज को घर में लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है। कोयलसा ब्लॉक के ककरही गांव में किसानों के खेतों में इस प्रजाति के प्याज की फसल लगाई गई है। इससे बीज बनाया जा रहा है, जो अप्रैल में किसानों को खेती के लिए दे दिया जाएगा।
प्याज की खेती पूर्वांचल क्षेत्र में व्यापक रूप से होती है:
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एलसी वर्मा ने बताया कि पूर्वांचल के आसपास के जिलों में प्याज की व्यापक खेती होती है। जैसे कि आजमगढ़ सहित पूर्वांचल के जौनपुर, गाजीपुर, बलिया आदि जिलों में प्याज बहुतायत में खेती की जाती है। इन क्षेत्रों में प्याज उत्पादन करने वाले अधिकांश किसान घर में प्याज को स्टोर करते हैं। जब बारिश होती है तो मौसम में आर्द्रता बढ़ जाती है और प्याज सड़ने या अंकुरित होने लगता है। इस समस्या को हल करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र आजमगढ़ के वैज्ञानिकों ने मौसम के अनुकूल प्याज की दो नई प्रजातियों का शोध किया है। इन प्रजातियों के बीज अक्टूबर माह में किसानों के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे। इसकी व्यावसायिक खेती करने से किसानों की आमदनी में वृद्धि हो सकती है।
प्याज का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य:
जानकारी के अनुसार, देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र है। महाराष्ट्र अकेले देश के कुल प्याज उत्पादन का 40 फीसदी हिस्सा देता है, जबकि हरियाणा में केवल 2 से 2.5 फीसदी प्याज उत्पन्न होता है। दूसरे नंबर पर प्याज उत्पादन में मध्य प्रदेश है, जहां देश का 15 फीसदी प्याज उत्पन्न होता है। कर्नाटक में 9, राजस्थान में 6, और गुजरात में केवल 5 प्रतिशत प्याज उत्पन्न होता है।
प्याज की उन्नत प्रजातियां:
जानकारी के अनुसार, देश में प्याज रबी के समय में नवंबर और दिसंबर में बोया जाता है. इसके अलावा, खरीफ मौसम में किसान प्याज को मई और जून के मध्य में बोते हैं। उपयोग और व्यावसायिक लिहाज से प्याज की विभिन्न उन्नत प्रजातियों की खेती की जाती है, जैसे कि पूना रेड, भीम रेड, भीमा सुपर, नासिक रेड, एन-53, पूसा रेड, पटना रेड, एग्रीफाउंड लाइट रेड, एग्रीफाउंड डार्क रेड, अर्का कल्याण, अर्का निकेतन, पूसा साध्वी, बसन्त इत्यादि रबी मौसम के लिए और खरीफ मौसम के लिए अर्को लालिमा, बसन्त, एग्रीफाउंड डार्क रेड, अर्का पीताम्बर, अर्का कीर्तिमान, भीमा सुपर, पूसा व्हाईट राउंड, और भीम डार्क रेड किस्में। वहीं, भीमा शुभ्रा, भीमा श्रेव्ता, प्याज चयन-131, पूसा व्हाईट फ्लैट, पूसा राउंड फ्लैट, उदयपुर 102, नासिक सफेद, सफेद ग्लोब, पूसा व्हाईट राउंड इत्यादि सफेद रंग की प्याज किस्में हैं। पीले रंग वाली प्याज प्रजातियों में अर्ली ग्रेनो औरऔर येलो ग्लोब, अर्का पीताम्बर, आई आई एच आर पिली जैसे प्रसिद्ध प्रजातियां शामिल हैं।
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