खेत के किनारे लगाएं २० रुपए वाला पॉपलर; ६ साल में हो जाएंगे लखपती
खेत के किनारे लगाएं २० रुपए वाला पॉपलर, ६ साल में हो जाएं लखपती! किसान खेतों में आमदनी बढ़ाने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं लेकिन कई ऐसे सहायक कार्य भी हैं जिनसे किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए उन्हें खेतों की मेढ़ पर पापुलर की पौध लगाने को भी जागरूक किया जाता है। पॉपलर की खेती भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर के कई देशों में की जाती है. एशिया, नॉर्थ अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका में पॉपलर पेड़ लगाए जाते हैं. पॉपलर के पेड़ की लकड़ी का उपयोग कई तरह के कामों में किया जाता है. कृषि प्रधान देश भारत में धान, गेहूं और गन्ना के अलावा उद्यान की खेती भी लोग करते हैं. लेकिन किसान खेती के साथ-साथ अगर खेत किनारे पॉपलर के पेड़ लगाते हैं, तो किसानों को अतिरिक्त आमदनी मिल सकती है.
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कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता के रिसर्च के अनुसार किसान बिना किसी अतिरिक्त खर्च के पॉपलर के पौधे उगा सकते हैं. पॉपलर की लकड़ी का उपयोग प्लाईवुड, माचिस, खिलौने, लुगदी कागज, पैकिंग केस और कृत्रिम हाथ पैर बनाने के लिए किया जाता है. किसान खेत किनारे मेड़ों पर पॉपलर के पौधे लगाते हैं तो किसानों को उनको तैयार करने के लिए अलग से लागत नहीं लगानी होगी, बल्कि खेत के अंदर उगाई जाने वाली फसलों में दिए जाने वाले पोषक तत्वों से ही पॉपलर के पौधों को पोषण मिलता रहेगा.
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६ वर्ष में हो जाएंगे पौधे तैयार
पॉपलर को उपजाऊ दोमट और चिकनी मिट्टी में लगाया जा सकता है. मिट्टी में कार्बनिक मात्रा अधिक होनी चाहिए. जिससे पौधों की बढ़वार अच्छी होगी. पॉपलर के पौधों को ६.५ से ७.५ पीएच वाली मिट्टी में ही लगाना चाहिए. पॉपलर का पौधा ६ साल में तैयार हो जाता है, जिससे किसानों को अच्छी आमदनी मिलती है.
दो एकड़ से बनें लखपती
पॉपलर की लकड़ी आम लकड़ियों की तरह ही ३०० रुपये क्विंटल बिकती हैं। जबकि राज्य सरकार के निर्देश पर आठ सौ रुपये प्रति क्विंटलकीमत निर्धारित की गयी हैं। अगर सरकार के निर्देशों को लागू किया जाये तो किसानों को और मुनाफा होगा़ दो हजार पौधे लगाने पर छह साल बाद इसकी कीमत ८० लाख रुपये होगी। इतने पौधे के लिए केवल दो एकड़ ही जमीन की जरूरत पड़ती है। पॉपलर कम समय में तैयार होकर लागत से कई गुणा फायदा देता हैं। दो एकड़ में एक हजार पौधे लगते हैं। पौधे उद्यान विभाग से अनुदान पर सिर्फ २० रुपये में मिलता हैं। एक हजार पौधे पर २० हजार खर्च आता है, जो उद्यान विभाग से अनुदान रूप में मिल जाता हैं। साल भर की सिंचाई पर पांच हजार रुपये प्रति एकड़ खर्च होता हैं।वहीं, सीधे तने, बहुत कम पत्ते व पंक्ति में लगाये जाने के कारण बीच की जगह में धान और गेहूं की फसल भी लगायी जा सकती हैं। ये वृक्ष सघन नहीं होते, इस कारण इनसे होकर धूप अच्छी तरह खेतों में आती है। साथ ही इन पौधों के खेतों में लगे रहने से फसल को नाइट्रोजन भी भरपूर मिलता है। वहीं, प्लाइवुड मिल में इसके बुरादे से जैविक खाद तैयार किया जा सकता है।
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