मत्स्य पालन किसानों और २० मिलियन से अधिक मछुआरों का प्राथमिक स्त्रोत भोजन, रोजगार, पोषण और आय शामिल हैं जो जलीय कृषि और मत्स्य पालन के क्षेत्र में आजीविका प्रदान करता है। सरकार ने इस क्षेत्र के विकास के लिए ख़ास योजना को संचालित किया हैं।
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प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना
सरकार द्वारा मत्स्य पालन क्षेत्र में नीली क्रांति लाने के उद्देश्य से पिछले साल दस दिसंबर को भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना की शुरआत की थी।
सरकार ने इस योजना को सबसे अधिक निवेश के साथ ८०० करोड़ से भी ज़्यादा निवेश कर प्रारम्भ किया था। इस योजना का अंतराल वित्त वर्ष २०२०-२१ से वित्त वर्ष २०२४-२५ तक ५ वर्षों के लिए सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के लिए लागू किया गया हैं। सरकार ने इस योजना का लक्ष्य वर्ष २०१८-१९ में १३.७५ मिलियन मीट्रिक टन से २२ मिलियन मीट्रिक टन साल २०२४-२५ तक के लिए मछली उत्पादन को बढ़ाने का लक्ष्य तय किया हैं।
मत्स्य संपदा योजना का मुख्य उद्देश्य
सरकार ने इस योजना का उद्देश्य विशेषकर मछुआरों के कल्याण के लिए, प्रबंधन के साथ आधुनिकीकरण को मजबूत करने के लिए, मछली उत्पादन, प्रौद्योगिकी, मजबूत मत्स्य पालन प्रबंधन ढांचा तथा उत्पादन की क्षमता को बढ़ाना हैं।
मत्स्य संपदा योजना के तहत प्रमुख उपलब्धियां शामिल की गयी
- घरेलु मछली की खपत को ५ किलो से बढ़ाकर १२ किलो तथा राष्ट्रीय औसत ३ टन से जलीय कृषि उत्पादकता को ५ टन प्रति हेक्टेयर बढ़ाना हैं।
- १३४,७३३ रूपए से पशुपालन, मत्स्य पालन और डेयरी मंत्रालय ने फण्ड अर्जित कर किसानों की मदद की हैं।
- इस योजना के तहत मछुआरों के परिवारों को पोषण संबंधी और आजीविका सहायता प्राप्त करने के लिए सुविधा प्राप्त होगी।
मत्स्य संपदा योजना की विशेषताएं
- ७,२३८ मछली परिवहन सुविधाओं के आलावा शीनीकृत मछली पकड़ने के जहाजों में २ हजार से अधिक जैव-शौचालय एवं ७२० मछली किसान उत्पादक संगठनों क अगाथान किया गया हैं।
- इस योजना की पहल से रोजगार में वृद्धि की अवसर देखे गए हैं और लगभग ८ लाख लाभार्थियों सहित ३४ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सहायता प्रदान की हैं। आने वाले समय में यह योजना ५५ लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार की अवसर पैदा कर सकती हैं।
- इस योजना के तहत विभिन्न स्त्रोतों को शामिल किया हैं जैसे समुद्री मत्स्य पालन की स्थिरता, कम उत्पादकता, बीमारी, स्वच्छता आदि मुद्दों को संबोधित किया है।
- इस योजना के अंतराल के बाद से उद्यमिता का विकास, नवाचार और मत्स्य पालन क्षेत्र में स्टार्ट-अप, नवीन परियोजना, इनक्यूबेटर आदि सहित गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा।
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