ज़्यादातर लोग जो खेती-किसानी का काम चुनते हैं अगले तीन या चार दशक तक इसी काम से जुड़े रहते हैं.
हमने गौर किया है कि नई पीढ़ी को खेती के काम में उतनी दिलचस्पी नहीं रह गई है और वे अपना ज़्यादा समय पढ़ाई-लिखाई या दूसरे काम-धंधों में देना पसंद करते हैं.
इसका नतीज़ा हमें खेती के काम के लिए किसानों और मजदूरों की संख्या में कमी के रूप में देखने को मिल सकता है.
यह स्थिति मौजूदा किसान भाइयों को मशीनीकरण को बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है.
इससे ट्रैक्टर्स के साथ अन्य उपकरणों, हारवेस्टर्स,ट्रांसप्लांटर्स तथा दूसरी आधुनिक टेक्नोलॉजियों का इस्तेमाल बढ़ा है, जिससे कि लागत खर्च कम हो सके और कार्यक्षमता तथा उत्पादकता में सुधार आ सके.
किसानों ने अब अपने खेतों की मिट्टी के प्रकार, उपलब्ध समय,डीज़ल के खर्च, इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण के अनुसार विभिन्न हॉर्स पावर के ट्रैक्टर्स के इस्तेमाल को समझ लिया है और इसके फलस्वरूप पिछले दशकों में ट्रैक्टर्स की मांग में काफी वृद्धि देखी गई है.
उदाहरण नं. 1 जो कि भारत में नए ट्रैक्टर्स की बिक्री को दर्शाता है हमारी इस बात को प्रमाणित करता है.
उदाहरण नं.1 भारत में ट्रैक्टर्स की बिक्री का स्वरूप
ट्रांसप्लांटर्स धान के अंकुरों की रोपाई में मजदूर की ज़रूरत को काफी कम कर देता है. यह प्रति दिन 2 एकड़ में रोपाई करने के लिए 15 मजदूरों की ज़रूरत को घटाता है.
मशीन एक दिन में 6 से 8 एकड़ खेत में रोपाई कर सकती है. इससे मजदूरों की जरूरत में बचत तो होती ही है साथ ही एक समान रोपाई भी होती है, जिससे बेहतर पैदावार मिलती है.
फसल के कटाई के लिए तैयार होने पर- कई काम सामने आ जाते हैं जैसे कि कटाई, कुटाई तथा फसल की सफाई. पहले हाथ से करने पर इस काम में कई दिन लग जाते थे, लेकिन अब हारवेस्टर एक घंटे में एक एकड़ खेत को निबटा सकता है.
इन कामों को मशीन के ज़रिए करने पर यानी कंबाइन हारवेस्टर्स अपनाने पर फसल कटाई के मौसम में मजदूरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता, जो कि अकसर किसानों के लिए बड़ी ही भाग-दौड़ का मौसम होता है.
इससे किसान तेजी तथा अधिक क्षमता से अपने फसल कटाई के काम को निपटा सकते हैं, जिससे उनकी उत्पादकता ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ती है और फसल प्राप्ति में कम से कम हानि उठानी पड़ती है.
उदाहरण 2 – कंबाइंड हारवेस्टर्स की अनुमानित बिक्री
खेत को तैयार करने से लेकर अवशेषों के निपटान तक, संपूर्ण मशीनीकरण नज़रिए को अपनाकर खेती की पूरी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जा सकता है.
भारत में छोटे-छोटे और बिखरे हुए खेतों की स्थिति को देखते हुए, यहां मशीनीकरण सेवाओं के लिए एक बढ़ता हुआ बाजार है. यह प्रचलन कई घटकों से संचालित होने के कारण इसके जारी रहने की पूरी उम्मीद की जाती है, जैसे कि टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में लगातार प्रगति तथा सरकार द्वारा समर्थन.
आज हम देख रहे हैं कि किसानों की उत्पादकता और लाभप्रदता को बढ़ाने के लिए कई अत्याधुनिक टेक्नोलॉजियों का इस्तेमाल हो रहा है जैसे कि टेम्परेचर तथा मॉइस्चर सेंसर्स, रोबोट्स, जीपीएस टेक्नोलॉजी तथा ड्रोन्स.
सरकार भी खेती के तरह-तरह के उपकरणों को खरीदने के लिए किसानों को आर्थिक सहायता देकर प्रोत्साहित कर रही है.
मशीनीकरण की दिशा में अब यह स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है कि किसान भाइयों ने मशीनीकरण को काफी हद तक अपनाया है.
फिर भी, अंतर्राष्ट्रीय मार्केट्स की तुलना में हम अभी भी काफी पीछे हैं. आगामी अंकों में हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि अंतर्राष्ट्रीय मार्केट्स ने इस दिशा में कैसे और कितनी उन्नति की है.
अपनी सीमित शैक्षणिक पृष्ठभूमि के बावजूद किसानों ने मशीनीकरण को अपनाने में सराहनीय सफलता पायी है और इसके साथ वे देश की खाद्य सुरक्षा में लगातार अपना योगदान दे रहे हैं.
किसानों का हर चुनौती का कमर कस कर सामना करना, एक ऐसा जज्बा है जिसकी हर भारतीय को एक प्रेरणा मानते हुए सराहना की जानी चाहिए.